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निर्वाचन आयोग का निर्देश नहीं मान रहा कृषि विभागनौ साल से पाकुड़ व जामताड़ा में एक ही पद पर जमे हैं रामानंदन प्रसादसंवाददाता, रांची/पाकुड़पिछले नौ साल से जामताड़ा में बतौर भूमि संरक्षण पदाधिकारी रामनंदन प्रसाद अपने पद पर जमे हुए हैं. जबकि निर्वाचन आयोग ने उन्हें सात नवंबर को उन्हें उक्त पद से विरमित करने […]

निर्वाचन आयोग का निर्देश नहीं मान रहा कृषि विभागनौ साल से पाकुड़ व जामताड़ा में एक ही पद पर जमे हैं रामानंदन प्रसादसंवाददाता, रांची/पाकुड़पिछले नौ साल से जामताड़ा में बतौर भूमि संरक्षण पदाधिकारी रामनंदन प्रसाद अपने पद पर जमे हुए हैं. जबकि निर्वाचन आयोग ने उन्हें सात नवंबर को उन्हें उक्त पद से विरमित करने का आदेश दे दिया है. लेकिन इस आदेश पर क्या कार्रवाई की गयी कृषि विभाग ने कोई जानकारी आयोग तक नहीं भेजी है. ना ही श्री प्रसाद ने अपना पद छोड़ा है ना ही वहां भेजे गये बतौर भूमि संरक्षण पदाधिकारी के रूप में भेजे गये सुबोध प्रसाद सिंह को प्रभार सौंपा है. पिछले वर्ष 2014 में भी वहां जब सबन गुड़िया को इस पद पर पदस्थापित करने भेजा गया था तो उन्होंने श्री गुड़िया को प्रभार नहीं सौंपा था. वे पाकुड़ सहित जामताड़ा दोनों जगहों पर काम करते रहे. आज भी दोनों जगहों पर काम कर रहे हैं. उनके द्वारा दोनों जगहों पर काम करना, किसी अन्य पदाधिकारी को प्रभार नहीं सौंपना कृषि विभाग की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर रहे हैं. ना तो इस पर विभाग ध्यान दे रही ना ही सरकार. जबकि कृषि मंत्री भी संताल परगना के इलाके से संबंध रखते हैं और इसके पहले भी जो कृषि मंत्री थे वे भी इसी इलाके से संबंधित हैं.क्या कहा है निर्वाचन आयोग नेइस मामले को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने कृषि विभाग के सचिव को पत्र लिखा है. इसमें कहा है कि एक सप्ताह के अंदर दो अधिकारियों के मामले में निर्देश दिया गया था. इसका अनुपालन प्रतिवेदन अब तक आयोग को नहीं दिया गया है. आयोग के सचिव राजेश कुमार पाठक ने यथा शीघ्र अनुपालन प्रतिवेदन भेजने को कहा है.क्या था निर्देशराज्य निर्वाचन आयोग ने सात नवंबर 2015 को कृषि विभाग को पत्र लिखकर जामताड़ा के भूमि संरक्षण पदाधिकारी सुबोध प्रसाद सिंह को पद पर बनाये रखने का निर्देश दिया था. वहीं 2006 से भूमि संरक्षण पदाधिकारी के पद पर पदस्थापित रामानंदन प्रसाद को उक्त पद से विरमित करने का आदेश दिया था. इस पर क्या कार्रवाई की गयी, इसकी जानकारी राज्य निर्वाचन आयोग को नहीं दी गयी.2009 में भी हुआ था तबादलारामानंदन प्रसाद का तबादला 2009 में भी हुआ था. श्री प्रसाद को दुमका भेज दिया गया ता. उनके स्थान पर सबन गुड़िया को पदस्थापित कर दिया गया था. उस वक्त भी रामानंदन प्रसाद ने पद नहीं छोड़ा था. वह दोनों स्थान पर काम करते रहे. 2014 में श्री प्रसाद का तबादला पाकुड़ जिला भूमि संरक्षण पदाधिकारी के पद पर हो गया था. उसके बाद वह पाकुड़ के साथ-साथ जामताड़ा का काम भी करते रहे. तीन माह पहले जामताड़ा भूमि संरक्षण पदाधिकारी के पद पर सुबोध प्रसाद सिंह का पदस्थापन कर दिया गया है. इसके बाद भी श्री प्रसाद ने श्री सिंह को प्रभार नहीं दिया है. पिछले नौ साल से वह जामताड़ा में पदस्थापित हैं.

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