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बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा जरूरी

बाल सखा के राज्य समन्वयक ने आयोजित कार्यशाला में कहा साहिबगंज : बच्चों के अधिकारों की हर हाल में हो सुरक्षा. यह बातें बाल सखा के राज्य समन्वयक पीयूष सेन गुप्ता ने मंगलवार को विकास भवन के सभागार में बाल सखा एनजीओ द्वारा बच्चों के अधिकार व कानूनी अधिकार पर आयोजित कार्यशाला में पुलिस पदाधिकारियों […]

बाल सखा के राज्य समन्वयक ने आयोजित कार्यशाला में कहा
साहिबगंज : बच्चों के अधिकारों की हर हाल में हो सुरक्षा. यह बातें बाल सखा के राज्य समन्वयक पीयूष सेन गुप्ता ने मंगलवार को विकास भवन के सभागार में बाल सखा एनजीओ द्वारा बच्चों के अधिकार व कानूनी अधिकार पर आयोजित कार्यशाला में पुलिस पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि बाल अपराध की घटना बढ़ी हैं.
लेकिन यदि कोई बालक किसी अपराध में पकड़ा जाता है तो उसे हथकड़ी व रस्सी से बांधा नहीं जा सकता है. बच्चों को पकड़ने के दौरान पुलिस पदाधिकारी वरदी में ना जायें.
श्री गुप्ता ने बच्चों के चार मौलिक अधिकार जिसमें जीने का अधिकार, सुरक्षा का अधिकार, विकास का अधिकार, सहभागिता के अधिकार के बारे में विस्तार से जानकारी दी तथा बच्चों के कानूनी अधिकार के बारे में बताया. कहा कि बच्चों का तात्पर्य वैसे पुरुष या महिलाएं हैं जो 18 वर्ष से कम उम्र के हैं. बच्चों को उनके संरक्षण, इलाज, शिक्षण, प्रशिक्षण, विकास एवं पुनर्वास का अधिकार है. कहा कि बच्चों के वादों का निष्पादन चार माह के अंदर हो जाना चाहिए. जमानती या गैर जमानतीय अपराध वाले किशोर को जमानत या बिना जमानत को छोड़ा जा सकता है.
बच्चों के सभी वादों का निराकरण एवं निष्पादन केवल किशोर न्याय बोर्ड के अधीन ही होना चाहिए. बच्चों को सामथ्र्यवान बनाने के लिए गोद दिया जाना, बच्चों को पुलिस थानों या लॉक अप में बच्चों को नहीं रखा जा सकता है. बच्चों को हथकड़ी लगाना जुर्म है. बच्चों को किसी भी परिस्थिति में उम्र कैद की सजा नहीं हो सकती है, बच्चों को फांसी या मौत की सजा नहीं हो सकती है.
उन्होंने कहा कि शारीरिक प्रताड़ना से सुरक्षा, मानसिक प्रताड़ना, आर्थिक दबाव में सुरक्षा, घरेलू हिंसा, किशोर न्याय के मामले में भी लोगों को जागरूक करना होगा. इसके पहले एसपी सुनील भास्कर ने सभी लोगों से परिचय प्राप्त कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. श्री भास्कर ने पूछा कि महाराजपुर में पॉकेटमारी का प्रशिक्षण छोटे बच्चों को दिया जा रहा है. उसे किस प्रकार रोका जाये या किस कानून के तहत गिरफ्तार किया जाय, जिससे बच्चों को ज्यादा परेशानी ना हो. इस पर किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य सह अधिवक्ता शिवशंकर दुबे ने कहा कि जेजेए 22, 24, 25, 26 एक्ट के तहत बाल तस्करी को रोका जा सकता है.
यदि बड़ा अपराध किया गया हो तो सुधार गृह भेजा जा सकता है. इस दौरान कई लोगों ने सवाल पूछे. मौके पर बाल सुरक्षा पदाधिकारी पूनम कुमारी, किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य शिवशंकर दुबे, बाल सखा के समन्वयक राहुल प्रवीण, डीएसपी सीएम झा सहित सभी थाना के प्रभारी उपस्थित थे.

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