साहिबगंज : सीएस डॉ बी मरांडी ने शनिवार सुबह 10:30 बजे एमसीएच स्थित सदर सीएचसी का निरीक्षण किया. निरीक्षण के क्रम में टीकाकरण के लिये दो एएनएम कंचनलता कुमारी को किशन प्रसाद व निलू कुमारी को रहमत टोला जाना था. पर नहीं गयी. इस कारण दोनों का वेतन एक दिन का काट लिया गया है. […]
साहिबगंज : सीएस डॉ बी मरांडी ने शनिवार सुबह 10:30 बजे एमसीएच स्थित सदर सीएचसी का निरीक्षण किया. निरीक्षण के क्रम में टीकाकरण के लिये दो एएनएम कंचनलता कुमारी को किशन प्रसाद व निलू कुमारी को रहमत टोला जाना था. पर नहीं गयी. इस कारण दोनों का वेतन एक दिन का काट लिया गया है. तथा शो कॉज पूछा गया है.
इधर सीएस ने अस्पताल व एमसीएच में गंदगी को देखते हुए अविलंब सफाई करने का निर्देश दिया. तीन दिनों के अंदर दोनों एएनएम को क्षेत्र में दिये गये लक्ष्य को टीकाकरण को पूर्ण करने की बात कही. उन्होंने कहा कि सदर प्रखंड में मात्र 69 प्रतिशत टीकाकरण हुआ है. जो काफी कम है. सीएस के निरीक्षण से कर्मियों में हड़कंप व्याप्त है.
डेंगू पीड़ित की होती है सिर्फ प्लेटलेट्स की गणना: मिर्जाचौकी, बरहरवा व उधवा में हर वर्ष डेंगू के मरीज मिल रहे हैं. वैसे स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि जिला में अब तक डेंगू के किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई है. हालांकि गैर सरकारी सूत्रों का दावा है कि उधवा में बीते वर्ष डेंगू के तीन मरीज की मौत हुई थी. एक सामाजिक कार्यकर्ता के अनुसार दरअसल, क्षेत्र में एक बार डेंगू के पांव पसारने के बाद हर साल बीमारी होने का खतरा रहता है. स्वास्थ्य विभाग डेंगू की पुष्टि होने पर मरीजों के खून का सैंपल एलिजा टेस्ट के लिए रांची या धनबाद भेजा है.
सदर अस्पताल में कई बेड पर नहीं मिली चादर
सदर अस्पताल में शनिवार को दर्जनों नये मरीज विभिन्न मौसमी बीमारी से इलाज कराने पहुंचे थे. 100 बेड वाले अस्पताल में बेड नहीं मिला. कई बेड पर चादर भी नसीब नहीं हुई. डॉ एके सिंह ने बताया कि मौसमी मरीज की जांच की गयी है. तकरीबन 70 मरीजों की आउटडोर में जांच की गयी. जबकि प्रसव क्षेत्र में भी कुछ मरीजों को रखा गया है.
मशीन खरीदने के लिए भेजा गया था प्रस्ताव
सीएस ने कहा कि वर्ष 2012 में डेंगू के मरीज मिले तो तत्कालीन डीसी की अध्यक्षता में बैठक कर जांच व प्लेटलेट्स चढ़ाने के लिए आवश्यक मशीन की खरीदारी के लिये प्रस्ताव भेजा था. जिला में डेंगू से बचाव के लिए लगातार प्रचार-प्रसार व छिड़काव कराया जा रहा है. यदि एलिजा टेस्ट में संदेहास्पद मरीज में डेंगू होने की पुष्टि होती है तो उन्हें तुरंत बेहतर इलाज के लिए बाहर भेजा जायेगा.