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1930 में हो चुका शहर का सर्वे मिल चुका खतियान

साहिबगंज : खासमहल उन्मूलन को लेकर खासमहल उन्मूलन समिति का एक प्रतिनिधि मंडल डीसी डॉ शैलेश कुमार चौरसिया से मिला. संयोजक वीरेंद्र झा ने बताया कि खासमहल उन्मूलन समिति 12-15 सालों से इसे जनहित में समाप्त करने के लिए कार्य कर रही है. सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि सरकार ने समिति की ओर से […]

साहिबगंज : खासमहल उन्मूलन को लेकर खासमहल उन्मूलन समिति का एक प्रतिनिधि मंडल डीसी डॉ शैलेश कुमार चौरसिया से मिला. संयोजक वीरेंद्र झा ने बताया कि खासमहल उन्मूलन समिति 12-15 सालों से इसे जनहित में समाप्त करने के लिए कार्य कर रही है. सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि सरकार ने समिति की ओर से प्रस्तुत प्रमाणों के आधार पर संतुष्ट होकर यहां के लीज नवीकरण को स्थगित कर दिया है.

इसके अलावा दो विधानसभा की समितियों ने प्रमाणों से संतुष्ट होकर सरकार को अनुशंसा की है कि साहिबगंज खासमहल क्षेत्र नहीं है. इस आशय की अधिसूचना निर्गत करने की अनुशंसा की है.राजस्व मंत्री एवं विधानसभा के सरकारी वक्तव्य में भी इसे समाप्त करने का आश्वासन दिया गया है. 1930 में साहिबगंज शहर का सर्वे हुआ और यहां के रैयतों को अतिम प्रकाशित खतियान दिया गया जो भूमि संबंधी अधिकार का अंतिम एवं निर्णायक प्रमाण है.

प्रतिनिधिमंडल ने डीसी से मिलकर पूरी बातें रखी और वर्तमान स्थिति से अवगत कराया है. इस अवसर पर प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व समिति के संयोजक वीरेंद्र झा ने किया. इस अवसर पर चंदेश्वर प्रसाद सिन्हा, मो मुर्शाद अली, चंदु गुहा, विष्णुदेव सिंह उपस्थित थे.

खासमहल के नाम पर आम लोगों के भयादोहन हो रहा है. इससे लोगों में संशय भी है.
जयप्रकाश सिन्हा, पूर्व वार्ड पार्षद
साहिबगंज के शहरी क्षेत्र की जमीन में उपलब्ध है गैर मजरूआ आम और गैर मजरूआ खास की भूमि, खासमहल मैनुअल में साहिबगंज का नाम नहीं. तौजी नं0 592 का उल्लेख खासमहल के लिए किया जाता है. जबकि तौजी नंबर 599 साहिबगंज का है.
आनंद मोदी, समाजसेवी

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