BIT Mesra: झारखंड के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान बीआईटी मेसरा में टेक्नोलॉजी से संबंधित नये-नये विषयों पर शोध और नवाचार होते रहते हैं. इसमें संस्थान के स्टूडेंट्स और फैकल्टी का अहम योगदान होता है. जानकारी के अनुसार, बीआईटी मेसरा में अभी एक ऐसी टेक्नोलॉजी पर शोध किया जा रहा है, जिससे मिसाइल को सटीक टारगेट हासिल करने में मदद मिलेगी. इस शोध पर डॉ प्रियांक कुमार और डॉ सुदीप दास काम कर रहे हैं, जो संस्थान के रॉकेट्री डिपार्टमेंट की ओर से किया जा रहा है. इसमें सबसोनिक से सुपरसोनिक वेलोसिटी में मिसाइल पर एयरोडायनामिक स्टडी की जा रही है, जिसकी मदद से मिसाइल की एक्युरेसी में लाभ मिलेगा. सीधे शब्दों में इस शोध के जरिये मिसाइल को सटीक टारगेट तक पहुंचाया जा सकेगा. इस शोध का फायदा शॉर्ट रेंज और लॉन्ग रेंज मिसाइल में मिलेगा. यह शोध डीआरडीओ का एक प्रोजेक्ट है.
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बीआईटी मेसरा में है देश का पहला रॉकेट सेंटर
बता दें कि बीआईटी मेसरा में मौजूद स्पेस इंजीनियरिंग और रॉकेट्री विभाग देश का पहला ऐसा विभाग है, जहां रॉकेट सेंटर है. इस विभाग की स्थापना 1964 में की गयी थी. इसका मतलब इसरो की स्थापना से पहले ही यहां स्पेस इंजीनियरिंग और रॉकेट्री विभाग की स्थापना हो गयी थी. बीआईटी मेसरा के रॉकेट्री डिपार्टमेंट में विभिन्न विषयों पर शोध और नवाचार का काम किया जाता है.
इको फ्रेंडली रॉकेट फ्यूल पर भी हो रहा काम
इधर, बीआईटी मेसरा के स्पेस इंजीनियरिंग और रॉकट्री विभाग में ग्रीन प्रोपेलेट यानी रॉकेट ईंधन पर भी काम चल रहा है. इस संबंध में विभागाध्यक्ष डॉ प्रियांक कुमार ने जानकारी दी कि रॉकेट लॉन्च होने पर काफी धुआं निकलता है, जिससे पर्यावरण में प्रदूषण फैलता है. ऐसे में संस्थान में इको फ्रेंडली प्रोपेलेट पर काम किया जा रहा है, ताकि रॉकेट लॉन्च के समय कम से कम प्रदूषण फैले. उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट पर डॉ शैली विश्वास और डॉ राजीव कुमार काम कर रहे हैं. इसके साथ ही संस्थान में हाइब्रिड रॉकेट पर भी काम हो रहा है. इस प्रोजेक्ट को लेकर आईआईएसटी तिरुवनंतपुरम और आईआईटी मद्रास के साथ एमओयू हुआ है. इस एमओयू के तहत हाइब्रिड रॉकेट को विकसित करने का काम किया जा रहा है.
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