इधर, जिन 20 वार्डाें में रांची एमएसडब्ल्यू सफाई का काम कर रही है, वहां भी अव्यवस्था का आलम है. शुरुआत में कचरा उठाने वाले वाहन संबंधित वार्डों में घूम-घूम कर हूटर बाजते थे और कचरा उठाते थे. वर्तमान में इन वार्डों में नियमित सफाई नहीं हो रही है. अब न तो कूड़ा उठानेवाले वाहन गली-मोहल्ले में घूम रहे हैं और न ही कोई कर्मचारी डोर-टू-डोर कचरा उठा रहा है. कचरा उठानेवाले वाहन केवल प्रमुख सड़कों पर घूमते नजर आते हैं.
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रांची एमएसडब्ल्यू को सफाई व्यवस्था सौंपने के बाद भी नहीं सुधरे हालात, नगर निगम सक्षम, तो क्यों गंदा है शहर
रांची: करीब आठ महीने पहले रांची की सफाई व्यवस्था रांची एमएसडब्ल्यू (रांची नगर निगम और एस्सेल इंफ्रा का ज्वाइंट वेंचर) को सौंपी गयी थी. पहले तो कंपनी ने काम अपने हाथ में लेने में देर कर दी अौर सफाई शुरू भी की तो केवल चार वार्ड में. उसकी रफ्तार भी धीमी रही. हालत यह है […]
रांची: करीब आठ महीने पहले रांची की सफाई व्यवस्था रांची एमएसडब्ल्यू (रांची नगर निगम और एस्सेल इंफ्रा का ज्वाइंट वेंचर) को सौंपी गयी थी. पहले तो कंपनी ने काम अपने हाथ में लेने में देर कर दी अौर सफाई शुरू भी की तो केवल चार वार्ड में. उसकी रफ्तार भी धीमी रही. हालत यह है कि रांची एमएसडब्ल्यू ने अब तक शहर के 55 वार्डों में से केवल 20 वार्डों में सफाई का काम शुरू किया है. जबकि, जनवरी 2017 से सभी वार्डों में सफाई का काम शुरू कर देना था.
इधर, जिन 20 वार्डाें में रांची एमएसडब्ल्यू सफाई का काम कर रही है, वहां भी अव्यवस्था का आलम है. शुरुआत में कचरा उठाने वाले वाहन संबंधित वार्डों में घूम-घूम कर हूटर बाजते थे और कचरा उठाते थे. वर्तमान में इन वार्डों में नियमित सफाई नहीं हो रही है. अब न तो कूड़ा उठानेवाले वाहन गली-मोहल्ले में घूम रहे हैं और न ही कोई कर्मचारी डोर-टू-डोर कचरा उठा रहा है. कचरा उठानेवाले वाहन केवल प्रमुख सड़कों पर घूमते नजर आते हैं.
सफाई का काम तो कम हुआ, हड़ताल ज्यादा हुई
आठ महीने में रांची एमएसडब्ल्यू के सफाई कर्मचारियों ने भी सात बार से ज्यादा हड़ताल की. वजह रही सफाई कर्मचारियों के वेतन को लेकर रांची एमएसडब्ल्यू और रांची नगर निगम के बीच चल रही खींचतान. वेतन के लिए आंदोलनरत इन कर्मचारियों काे कंपनी ने वेतन के रूप में कभी 1000 तो कभी 1500 रुपये देकर किसी तरह काम शुरू कराया गया.
अव्यवस्था की वजह से स्वच्छ सर्वेक्षण में पिछड़े
केंद्र सरकार द्वारा कराये गये स्वच्छ सर्वेक्षण प्रतियोगिता में राजधानी रांची को पूरे देश में 117वां स्थान मिला. इसके लिए भी रांची एमएसडब्ल्यू की कार्यप्रणाली जिम्मेदार मानी जा रही है. शहरवासी भी यह मान रहे हैं कि अगर कंपनी द्वारा तय समय पर सभी 55 वार्डों में सफाई का काम शुरू कर दिया गया होता, तो शहर को स्वच्छ सर्वेक्षण में अच्छा स्थान मिल सकता था. जबकि कंपनी की वजह से सब गुड़-गोबर हो गया.
पार्षद ने कंपनी को हटाने की मांग की
कंपनी की बदहाल सफाई व्यवस्था का हवाला देते हुए वार्ड नंबर 37 के पार्षद अरुण कुमार झा ने नगर आयुक्त प्रशांत कुमार को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा है कि उनके वार्ड में रांची एमएसडब्ल्यू का कार्य संतोषजनक नहीं है. और लोग आक्रोशित हैं. शुरुआत में कंपनी के वाहन और कर्मचारी कचरा उठाने के लिए आते थे, लेकिन अब इनके दर्शन नहीं हो रहे हैं. बेहतर होगा कि कंपनी को हटा कर नगर निगम शहर की सफाई व्यवस्था अपने हाथों में ले. नगर निगम इस कंपनी से बेहतर काम करने की क्षमता रखता है.
बोर्ड की बैठक आज, हंगामे के अासार
रांची नगर निगम बोर्ड की बैठक बुधवार को होगी. बैठक में वार्ड नंबर 44 की पार्षद उर्मिला यादव को नगर निगम द्वारा प्रोसिडिंग नहीं दिये जाने के मुद्दे पर हंगामा होने के आसार है. मेयर द्वारा निलंबित की गयी पार्षद के समर्थन में डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय सहित कई पार्षद शामिल हैं. ऐसे में बुधवार को इस मामले पर हंगामा तय है. बैठक में इसके अलावा शहर की साफ-सफाई के लिए चयनित कंपनी के कार्यों की समीक्षा और जल संकट पर भी चर्चा होनी है.
काम ठीक नहीं, थमाया ढाई करोड़ का िबल
रांची एमएसडब्ल्यू द्वारा नगर निगम के समक्ष ढाई करोड़ का बिल प्रस्तुत किया गया है. कंपनी ने यह बिल अक्तूबर 2016 से लेकर मार्च 2017 के बीच किये गये सफाई कार्य के एवज में मांगा है. बिल का रािश देख आम लोगों का हैरान होना लाजमी है. सवाल उठाना लाजमी है कि जब कंपनी के सफाई कर्मियों को समय पर वेतन नहीं मिला और सफाई कार्य बेहतर नहीं है, तो क्या कंपनी का यह बिल पास किया जाना चाहिए?
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