नयी तकनीक के माध्यम से समाज में आ रहे सकरात्मक बदलावों को लेकरप्रभात खबर डॉट कॉम विशेष सीरीज चला रहा है. इस सीरीज के तहत अभी तक हमने पांच व्हाट्सएप ग्रुप का जिक्र किया. समाज के अलग-अलग आयामों से जुड़े इस ग्रुप का जबर्दस्त प्रभाव है. व्हाट्सएप अब संवाद का सशक्त माध्यम बन चुका है. बेशक इसके कुछ स्याह पक्ष भी हैं, लेकिन इस माध्यम से होने वाले सकरात्मक प्रयोगों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. आज चर्चा ‘झारखंड हेरिटेज’ की जो झारखंड की विरासत को संजोनेका काम करता है.
‘झारखंड हेरिटेज’ के नाम से चल रहे इस ग्रुप में 60 सदस्य हैं. पेशे से पुरातत्वविद हरेंद्र सिन्हा इस ग्रुप के एडमिन हैं. झारखंड की संस्कृति, कला और समाज में गहरी रुचि रखने वाले लोगों का यह एक ऐसा मंच है, जहां पुरातात्विक विरासतों की चर्चा होती है. कई संगोष्ठियों का आयोजन कर चुका झारखंड हेरिटेज आज बेहद सक्रिय संगठन है. हरेंद्र सिन्हा बताते हैं कि तकनीक का उपयोग कर हम समान अभिरुचि के लोगों एक मंच पर जोड़े रख सकते हैं. इससे हमारे काम को बल मिलता है.
नयी सामाजिक व्यवस्था की चुनौतियों का जिक्र करते हुए हरेंद्र सिन्हा कहते हैं कि बदली हुई सामाजिक व्यवस्था में संयुक्त परिवार नहीं रहे. अब बच्चों के सामने दादा-दादी नहीं होते, जो उनसे विरासत की बात करें. वहीं मां-बापनौकरीपेशाहैं. दोनों के पास बच्चों के लिए वक्त नहीं है. बच्चों को छोटी उम्र में ही वीडियो गेम थमा दिया जाता है. इन परिस्थितियों में हमें एक ऐसी व्यवस्था की जरूरत है, जिसके माध्यम से नयी पीढ़ी अपने अतीत के बारे में जान सके. लिहाजा स्कूलों में वर्कशॉप का भी आयोजन किया जाता है. हेरिटेज झारखंड ने सिल्ली के चोकाहातू गांव में मौजूद मेगालिथों पर भी अध्ययन किया है. चोकाहातू मेगालिथ्स की संख्या लगभग 7 हजार है. इस ग्रुप के माध्यम से लोगों को राज्य के पुरातात्विक धरोहरों की सचित्र जानकारी प्राप्त होती है. इस ग्रुप के सहयोग हेतु इसी नाम से फेसबुक पर भी एक पेज खोला गया है. संस्था राज्य के ग्रामीणों इलाकों के सरकारी स्कूलों में संस्था जाती है और छात्रों के बीच जाकर वर्कशॉप का आयोजन करती है.