रांची : नकुल यादव हाल के वर्षों में बच्चों का अपहरण कर नक्सलियों का बाल दस्ता तैयार करने को लेकर चर्चा में आया था. सरेंडर करने के बाद नकुल यादव को मीडिया के सामने प्रस्तुत किया गया. पत्रकारों ने उससे कई सवाल किये.नकुल से पूछा गया कि क्या आप शादीशुदा हैं. आपके बच्चे हैं. उसे स्कूल में पढ़ाते हैं. इस पर नकुल यादव ने कहा कि मैं शादीशुदा हूं. मेरे बच्चे भी हैं. मैं जंगल में रहता था. अपने बच्चों को तो जंगल में नहीं रख सकता.
वे शहर के स्कूल में पढ़ते हैं. नकुल यादव से जब पूछा गया कि आप दूसरों के बच्चों का अपहरण कर उन्हें जबरन संगठन में क्यों शामिल करते थे. इस पर नकुल ने कहा कि मैंने किसी बच्चे का अपहरण नहीं किया. मुझ पर यह गलत आरोप लगाया गया है. इससे संबंधित कोई साक्ष्य किसी के पास है. कई आरोप बेवजह लग जाते हैं. अगर पहले आप पत्रकारों से संपर्क होता, तो सच्चाई बता पाता. अब मैंने सरेंडर कर दिया है. उन्होंने साथी नक्सलियों से अपील है कि वे भी आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौट आयें. मैंने झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ पर भरोसा किया. पुलिस ने भी मुझ पर भरोसा किया.
इन बड़ी घटनाओं में नकुल व मदन की थी संलिप्तता
हाल के वर्षों में नकुल यादव और मदन यादव बच्चों को जबरन उठा कर ले जाने के लिए चर्चा में आये थे. वे गांव वालों पर बच्चों को संगठन में शामिल करने के लिए दबाव बनाते थे. ये 35 बच्चों को विभिन्न जिलों से अपहरण कर संगठन में शामिल करा चुके हैं. तीन मई 2011 को नकुल यादव के दस्ता ने लोहरदगा के सेन्हा थाना क्षेत्र में सीरियल लैंड माइन बलास्ट किया था. इस दौरान नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन से लौट रही पुलिस के 11 जवान शहीद हो गये थे. करीब 60 जवान घायल हुए थे.
2009 में नकुल यादव के दस्ते ने लोहरदगा की केकरांग घाटी में पुलिस पर हमला किया था. पुलिस के दो जवान शहीद हो गये थे.
वर्ष 2014 में नकुल यादव के दस्ता ने चैनपुर और पेशरार से तीन ग्रामीणों का अपहरण कर लिया. बाद में उन्हें पुलिस मुखबिरी के आरोप में जला कर मार डाला. वर्ष 2016 के दिसंबर माह में लोहरदगा के बुलबुल में सीआरपीएफ और पुलिस के साथ नक्सलियों की भुठभेड़ हुई थी. इस घटना में दस्ता का नेतृत्व नकुल यादव कर रहा था. नकुल यादव को इसी केस में जेल भेजा गया है.
आप दूसरों के बच्चों का अपहरण क्यों करते थे ?
मैंने किसी बच्चे का अपहरण कर संगठन में शामिल नहीं किया. बच्चों का अपहरण करने का मुझ पर गलत आरोप लगाया गया है. कुछ बच्चे अपनी स्वेच्छा से संगठन में आते हैं. जो रहना चाहते हैं, वे रह जाते हैं और जो जाना चाहते हैं वे चले भी जाते हैं. किसी को संगठन में रहने के लिए दबाव नहीं बनाया जाता है.
आपने सरेंडर क्यों किया. क्या संगठन कमजोर पड़ गया है ?
नक्सली संगठन की नीतियों से झारखंड का विकास संभव नहीं है. झारखंड और केंद्र सरकार विकास का काम कर रही है. इससे प्रभावित होकर मैंने सरेंडर किया. संगठन कमजोर हुआ है या नहीं, यह मुझे पता नहीं.
2006 में जमानत पर छूटने के बाद आप दोबारा नक्सली संगठन में शामिल हो गये. इस बार जमानत पर निकलने के बाद आप क्या करेंगे. क्या राजनीति में आने का विचार है.
जब मैं दोबारा संगठन में शामिल हुआ, तब कुछ और बात थी. मैं जमानत पर निकलने के बाद क्या करूंगा अभी यह पता नहीं. जहां तक राजनीति में आने की बात है, तो जब मैं इस पर विचार करूंगा, तब लोगों को खुद पता चल जायेगा.संगठन के लिए हथियार कहां से आते हैं. किसी बड़े नक्सली नेता से कभी मुलाकात हुई थी क्या. जंगल में हथियार तो बनते नहीं. जहां बनते हैं, वहीं से आते हैं. संगठन में रहने के दौरान कई बड़े नेताओं से बात हुई, लेकिन किसी का नाम मुझे याद नहीं.
संगठन में रहते कभी किसी राजनेता के संपर्क में आये, किसी राजनेता से आपको जीवन में प्रेरणा मिली क्या ?
मैं संगठन में रहते कभी किसी राजनेता के संपर्क में नहीं आया. मुझे किसी राजनेता से जीवन में कभी प्रेरणा नहीं मिली.