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दूसरे कार्यालय में जाकर हाजिरी बनाने को मजबूर हैं कर्मी, क्या इसे ही कहते हैं गुड गवर्नेंस : हाइकोर्ट

आधार आधारित बायोमेट्रिक्स उपस्थिति नियमावली-2015 को चुनाैती देने का मामला सरकार को सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी की प्रति पेश करने का निर्देश मामले की अगली सुनवाई तीन मई को बायोमेट्रिक्स अटेंडेंस सिस्टम सभी कार्यालयों में क्यों नहीं लगाया गया रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को आधार आधारित बायोमेट्रिक्स उपस्थिति नियमावली-2015 को चुनाैती देनेवाली […]

आधार आधारित बायोमेट्रिक्स उपस्थिति नियमावली-2015 को चुनाैती देने का मामला
सरकार को सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी की प्रति पेश करने का निर्देश
मामले की अगली सुनवाई तीन मई को
बायोमेट्रिक्स अटेंडेंस सिस्टम सभी कार्यालयों में क्यों नहीं लगाया गया
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को आधार आधारित बायोमेट्रिक्स उपस्थिति नियमावली-2015 को चुनाैती देनेवाली याचिका पर सुनवाई की. सरकार को सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी की प्रति पेश करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई तीन मई को होगी. चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई.
खंडपीठ ने प्रार्थी के जवाब को देखते हुए माैखिक रूप से कहा कि गुड गवर्नेंस के लिए बायोमेट्रिक्स अटेंडेंस सिस्टम लागू किया गया है, तो यह सिस्टम सभी कार्यालयों में क्यों नहीं लगाया गया है. जब कर्मी दूसरे कार्यालय में जाकर हाजिरी बनाने को मजबूर हो रहे हैं, तो यह कैसा गुड गवर्नेंस है.
राज्य सरकार के अधिवक्ता के जवाब पर खंडपीठ ने उक्त टिप्पणी की. सरकार के अधिवक्ता ने खंडपीठ को बताया कि बायोमेट्रिक्स अटेंडेंस सिस्टम गुड गवर्नेंस के लिए लागू किया गया है. वहीं प्रार्थी अनिल कुमार सिंह ने स्वयं पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ योजनाअों को छोड़ कर आधार को अनिवार्य नहीं बनाने का अंतरिम आदेश दिया है. इसके बावजूद राज्य सरकार ने आधार आधारित बायोमेट्रिक्स अटेंडेंस सिस्टम को अनिवार्य बना दिया है.

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