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सावधान! रात में शहर की सड़कों पर 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलते हैं ट्रक

रांची : ईंट-बालू ढोने वाला हाफ डाला ट्रक (409 मिनी ट्रक) मात्र चार सौ रुपये के लिए लोगों की जान खतरे में डाल रहे है. एक ट्रिप में ट्रक को चार सौ रुपये की बचत होती है़ कम समय में ज्यादा ट्रिप मारने के चक्कर में चालक शहर में 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार […]

रांची : ईंट-बालू ढोने वाला हाफ डाला ट्रक (409 मिनी ट्रक) मात्र चार सौ रुपये के लिए लोगों की जान खतरे में डाल रहे है. एक ट्रिप में ट्रक को चार सौ रुपये की बचत होती है़ कम समय में ज्यादा ट्रिप मारने के चक्कर में चालक शहर में 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रक चलाते हैं. रांची शहर की सड़कों पर यह स्थिति रात 9.30 बजे के बाद सुबह तक रहती है. नो इंट्री खत्म होने के 30 मिनट पहले से ही हाफ डाला ट्रकों का शहर में घुसना शुरू हो जाता है. अनट्रेंड चालक और ट्रक की स्पीड ज्यादा होने के कारण रात में दुर्घटनाएं अधिक होती हैं.
रेडियम लाइट नहीं लगे होने के कारण बैरियर व डिवाइडर नहीं दिखता : राजधानी में कई जगह डिवाइडर व बैरियर लगे हैं, लेकिन उनमें रेडियम लाइट नहीं लगे होने के कारण दुर्घटनाएं हो रही है़ं ईस्ट जेल रोड के पास मॉल के सामने भीड़ को देखते हुए ट्रैफिक पुलिस ने रोड पर स्लाइड बैरियर लगाया है, लेकिन रेडियम लाइट नहीं लगे होने के कारण यह दुर्घटनाओं को आमंत्रित कर रहा है़ उसी प्रकार डोरंडा से घाघरा होकर नामकुम जाने वाले रास्ते में बने डिवाइडर में रेडियम लाइट नहीं लगी है, जिसके कारण उस रोड में दुर्घटनाएं होती है़ं मोरहाबादी में भी एक जगह पुलिस ने बीच सड़क पर स्लाइडर बैरियर लगाया है, जिससे रात में दुर्घटना होती है.
रामगढ़ , चुटूपालू, अनगड़ा से लाते हैं गिट्टी और ईंंट : हाफ डाला ट्रक वाले रामगढ़, चुटूपालू, अनगड़ा आदि जगहों से गिट्टी लाते है़ं रामगढ़ से एक नंबर ईंट लाते है़ं उनकी भी स्थिति वही होती है़ ज्यादा कमाई के फेर में ट्रकों की रफ्तार 40-50 के बजाय 100 रहती है. रात होने के कारण पुलिस भी ट्रकों को रोकने का काम नहीं करती. कई थाना क्षेत्रों में इन ट्रकों से पुलिस अवैध वसूली भी करती है. इसलिए हर तरह की छूट दे दी जाती है.
अनट्रेंड व नाबालिग भी चलाते हैं ट्रक : रात में चलने वाले ट्रकों के चालक जब थक जाते हैं, तो अनट्रेंड व नाबालिग को भी स्टेयरिंग थमा देते हैं. कुछ ट्रक मालिक भी कम पैसा देना पड़े, इसलिए अनट्रेंड को चालक के रूप में रख लेते हैं.
बुंडू, जुमार व तजना नदी से आता है बालू
ट्रक वाले बुंडू की कांची नदी, जुमार नदी व तजना नदी से बालू उठाते है़ं उक्त नदियों से एक ट्रक बालू रांची शहर लाने के बदले ट्रक मालिक को 27 से 28 सौ रुपये मिलते हैं. सबकुछ काट कर मालिक को चार से पांच सौ रुपये की बचत होती है. ट्रकों के चालकों पर दवाब होता है कि वह एक रात में दो से तीन ट्रिप बालू शहर में पहुंचाये. चूंकि दिन में नो इंट्री होने के कारण शहर में ट्रकों का प्रवेश बंद रहता है, इसलिए रात में वह ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं. एक सप्लायर के मुताबिक अभी डंफर से बालू की ढुलाई होने लगी है़ एक डंफर में हाफ डाला का दोगुना बालू आ जाता है़ डंफर से जगह-जगह पर बालू, गिट्टी गिरा कर जमा कर लिया जाता है़ वहां से भी हाफ डाला ट्रक वाले बालू लेकर सप्लाइ करते है़ं.
स्पीड गवर्नर पर काम होना चाहिए़ स्पीड गवर्नर यंत्र लग जाने से गति पर लगाम लगेगी़ शहर के विभिन्न स्थानों पर स्पीड गन कैमरा लगाने से भी गति सीमा पर लगाम लगायी जा सकती है़ रात में वाहनों की गति पर नियंत्रण रोड में तैनात पीसीआर व गश्ती दल की पुलिस ही कर सकती है, क्योंकि ट्रैफिक पुलिस का काम नो इंट्री का समय समाप्त होने के बाद खत्म हो जाता है़
संजय रंजन सिंह, ट्रैफिक एसपी

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