27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मुहिम, प्रकृति बचाने की: कंक्रीट की इमारतें बना कर सांस लेने की जगह नहीं छीनो, प्रकृति का सम्मान करो

लाइफ रिपोर्टर @ रांची कंक्रीट की इमारतें बना कर सांस लेने की जगह नहीं छीनों. प्रकृति का करो सम्मान तभी देश का बढ़ेगा सम्मान. प्रकृति का खजाना है बारी पार्क बचाना है. यह संदेश राजधानी के प्रबुद्ध और समाजसेवी नागरिकों ने दिया. चिलचिलाती धूप में अब्दुल बारी पार्क और जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम तक बुधवार […]

लाइफ रिपोर्टर @ रांची
कंक्रीट की इमारतें बना कर सांस लेने की जगह नहीं छीनों. प्रकृति का करो सम्मान तभी देश का बढ़ेगा सम्मान. प्रकृति का खजाना है बारी पार्क बचाना है. यह संदेश राजधानी के प्रबुद्ध और समाजसेवी नागरिकों ने दिया. चिलचिलाती धूप में अब्दुल बारी पार्क और जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम तक बुधवार को मानव शृंखला बनायी. सभी के हाथों में जयपाल सिंह स्टेडियम और बारी पार्क को बचाने का स्लाेगन लिखा हुआ तख्ता था.
सरकार से बारी पार्क मेें रवींद्र भवन के निर्माण को अविलंब रोकने और जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम को खेल के मैदान में पुन: तब्दील करने की मांग की गयी. शांतिपूर्ण तरीके से प्रबुद्ध नागरिकों ने सरकार तक अपनी आवाज को पहुंचाने का प्रयास किया. झारखंड सरकार से यह मांग की गयी कि राज्य के प्राकृतिक सौंदर्य को बरबाद होने से बचाया जाये. सांस लेने की बची हुई जगहों पर कंक्रीट की दीवार बना कर अवरूद्ध नहीं किया जाये. मानव शृंखला में शामिल लोग अंत में जयपाल सिंह स्टेडियम में एकत्र हुए और सभा आयोजित की. इसके पहले सड़क के किनारे खड़े होकर राजधानीवासियों से भी पार्क और स्टेडियम को बचाने की अपील की गयी. पंपलेट बांटे गये.
छात्र भी सड़क पर उतरेंगे
छात्र नेता तनुज खत्री ने कहा कि बचपन से ही बारी पार्क व जयपाल सिंह स्टेडियम को देखते आ रहे हैं. सरकार साजिश के तहत शहर के प्रमुख स्थानों और खाली पड़ी जमीनों पर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बना रही है. उन्होंने कहा कि आंदोलन की नयी रुपरेखा बनायी जायेगी. हम शहर के प्रबुद्ध लोगों के साथ हैं. छात्र नेता होने के नाते हमारी जिम्मेदारी भी बनती है कि युवाओं के खेलने के मैदान को बचाया जाये. यदि जरूरत हुई, तो रांची के छात्र सड़क पर उतरेंगे. आंदोलन किया जायेगा.
हस्ताक्षर अभियान शुरू
बारी पार्क और जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम को बचाने के लिए हस्ताक्षर अभियान भी शुरू किया गया. शहर के प्रबुद्ध लोगों ने हस्ताक्षर कर पार्क को बचाने का संदेश दिया. हस्ताक्षर अभियान से आम आदमी को भी जोड़ा जायेगा, जिससे अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी हो सके.
पंपलेट पर लिखे ऐसे संदेश
सड़कों का बार-बार चौड़ीकरण करने, फुटपाथ पर टाइल्स लगाने से प्राकृतिक सौंदर्य को खतरा बढ़ता जा है. सदर अस्पताल, हटिया डैम, कांके डैम, हिरनी फॉल आदि के पास ऊंची-ऊंची बिल्डिंग बनाने से शहर में लोगों को टहलने व घूमने के लिए जगह नहीं बची है. ऐसे में हम सब को मिल कर बारी पार्क को बचाने की आवश्यकता है. सरकार से यह मांग की गयी है कि राज्य के प्राकृतिक सौंदर्य को बरबाद होने से बचाये.
savebaripark.org
पर दें सुझाव
बारी पार्क को बचाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग भी किया जायेगा. व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्यूटर पर बारी पार्क व जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम को बचाने के लिए सहयोग करने की अपील की जायेगी. इसके लिए वेबसाइट savebaripark.org तैयार की गयी है. शहर के प्रबुद्ध लोग इस पर अपना सुझाव दे सकते हैं. इस अभियान से जुड़ भी सकते हैं.
मानव शृंखला में शामिल हुए
पूर्व चेंबर अध्यक्ष विकास सिंह, पवन शर्मा, पूनम आनंद, आदित्य विक्रम जायसवाल, पूर्व पुलिस अधिकारी आरएन सिंह, प्रमोद सारस्वत, केके पोद्दार, अरुण खेमका, केके साबू, आरपी साही, दीपक मारू, योगेंद्र ओझा, अंजय, अजय भंडारी, अभिमन्यु मोदी और विकास कुमार आदि.
प्रभात खबर फेसबुक लाइव पर देखिए
जयपाल सिंह स्टेडियम को बचाना क्यों जरूरी ?
जयपाल सिंह स्टेडियम को बचाने की मुहिम जोर पकड़ रही है. मानव शृंखला के जरिये इस आंदोलन को तेज करने की कोशिश हुई. आंदोलन कर रहे लोगों ने साफ कहा कि यदि राज्य सरकार तक आवाज नहीं पहुंची, तो आंदोलन तेज होगा. आखिर इस आंदोलन के पीछे का सोच क्या है? क्या सिर्फ मैदान बचाने की कोशिश है या कोशिश है कि प्रकृति बची रहे़, झारखंड जिसके लिए जाना- पहचाना जाता है वह पहचान बची रहे. आज शाम पांच बजे देखिये प्रभात खबर डॉट कॉम के फेसबुक पेज पर लाइव. हमारे साथ होंगे इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे चेंबर के पूर्व अध्यक्ष विकास सिंह, आरपी शाही, दीपक मारू सहित कई साथी.
भुतहा तालाब को भर कर जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम बनाया गया. वर्ष 1998 में यहां पहला उद्योग मेला लगाया गया था. बच्चे यहां खेलने आते थे. सुबह लोग टहलते थे, लेकिन अब यहां ऊंची इमारतें बनायी जा रही है. बारी पार्क के रवींद्र भवन में तीन हजार की क्षमता वाला हॉल बनाया जा रहा है. ऐसे में यहां तो सांस लेने की जगह नहीं मिलेगी. सरकार को इसे शीघ्र हटा कर नयी रांची में शिफ्ट कर देना चाहिए.
विकास सिंह, पूर्व चेंबर अध्यक्ष
सरकार तक अपनी आवाज पहुंचानी होगी. बारी पार्क और जयपाल सिंह स्टेडियम से रांची की पहचान है. कंक्रीट दीवार से वास्तविक तसवीर ही बदल जायेगी.
पवन शर्मा, पूर्व चेंबर अध्यक्ष
जयपाल सिंह स्टेडियम और बारी पार्क से ही रांची का नाम जुड़ा हुआ है. कुछ ही स्थान बचा है, जिसे बचाने की जरूरत है. खेल के मैदान होंगे, तो यहां बच्चे व बड़े शुद्ध हवा के लिए आ सकेंगे.
पूनम आनंद, सामाजिक कार्यकर्ता
यदि मैदान का अस्तित्व ही नहीं बचेेगा, तो रांची की पहचान ही खत्म हो जायेगी. शहर में एक ऐसी जगह भी होनी चाहिए, जहां लोग अपने बच्चे व परिवार को लेकर शाम को घूमने आ सकें.
प्रमोद सारस्वत, समाजसेवी
स्टेडियम और पार्क को बचाने के लिए सिटीजन ऑफ इंडिया का गठन किया गया है. 100 से ज्यादा लोगों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. राष्ट्रपति को पत्र भेजा गया है.
कनिष्क पोद्दार
पूर्वजों से इस स्टेडियम का जुड़ाव रहा है. अब स्टेडियम अस्तित्व खोता जा रहा है. बारी पार्क में रवींद्र भवन के बजाय पार्क का निर्माण हो. शहर से मैदान गायब होते जा रहे हैं.
आदित्य विक्रम जायसवाल
बीच शहर में बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बनने से यातायात की व्यवस्था बिगड़ जायेगी. ऐसे में स्टेडियम और पार्क को बचाने की जरूरत है. अब जरूरत है कि सरकार पार्क और खेल का मैदान बचाये.
आरएन सिंह

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें