रांची: राजधानी के गैर मान्यता प्राप्त 800 निजी विद्यालयों को संबद्धता प्रदान करने की प्रक्रिया जिला प्रशासन की तरफ से शुरू किया जायेगा. 20 अप्रैल से 20 जून तक यह अभियान जिले भर में चलाया जायेगा. डिस्ट्रिक्ट इंफोरमेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (डायस) के तहत राजधानी में निजी विद्यालयों की संख्या 850 से अधिक है. इसमें […]
रांची: राजधानी के गैर मान्यता प्राप्त 800 निजी विद्यालयों को संबद्धता प्रदान करने की प्रक्रिया जिला प्रशासन की तरफ से शुरू किया जायेगा. 20 अप्रैल से 20 जून तक यह अभियान जिले भर में चलाया जायेगा. डिस्ट्रिक्ट इंफोरमेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (डायस) के तहत राजधानी में निजी विद्यालयों की संख्या 850 से अधिक है.
इसमें सीबीएसइ और आइसीएसइ बोर्ड से संबद्ध सिर्फ 80 स्कूल ही हैं. जिला प्रशासन की ओर से इन निजी स्कूलों को सरकार की तरफ से मान्यता दिये जाने के प्रावधानों की जांच कर उन्हें संबद्धता प्रदान की जायेगी.
राजधानी के कांके, नगड़ी, ओरमांझी, रातू, नामकुम, तुपुदाना में निजी विद्यालयों को मान्यता दिये जाने के सबसे अधिक आवेदन आये हैं. जिला प्रशासन की तरफ से पांच बिंदुओं पर मान्यता दिये जाने की कार्रवाई की जायेगी. जिला प्रशासन की तरफ से मान्यता से संबंधित 550 आवेदनों को टेक अप किया जा रहा है. इसके लिए एक टीम भी बनायी गयी है. इसमें संकुल साधन सेवी, प्रखंड साधन सेवी, प्रखंड स्तरीय प्रोग्राम अधिकारी, वरीय शिक्षकों को शामिल किया गया है. यह टीम दस दिनों के अंदर सारी औपचारिकताएं पूरी कर प्रशासन को रिपोर्ट सौंप देगी.
किन-किन बिंदुओं पर होगी जांच
निजी विद्यालयों की स्थापना के लिए सरकार की तरफ से छह महत्वपूर्ण नियम बनाये गये हैं. इसमें स्कूल कोई निजी व्यक्ति नहीं चलायेगा. स्कूल संचालन के लिए ट्रस्ट, सोसाइटी और प्रबंध समिति का होना जरूरी है, जो सोसाइटी एक्ट अथवा ट्रस्ट गठन संबंधी एक्ट से निबंधित हों. स्कूल का स्वभाग गैर स्वामित्ववाला होना चाहिए. विद्यालय के नाम पर अपनी जमीन होना जरूरी किया गया है. कक्षा अाठवीं तक शहरी क्षेत्र में एक एकड़ जमीन अौर भवन जरूरी किया गया है. हाई स्कूल के लिए ग्रामीण क्षेत्र में पांच एकड़ और शहरी क्षेत्र में तीन एकड़ जमीन होना जरूरी है. जमीन से संबंधित दस्तावेज निबंधित होने चाहिए. नोटरी पब्लिक से कराये गये हलफनामे पर सरकार विचार नहीं करेगी. यदि विद्यालय किराये के भवन में संचालित हो रहा है, तो उसका भी निबंधित दस्तावेज जरूरी है. विद्यालय के भवन अथवा जमीन पर किसी तरह का दूसरा कार्य नहीं होना चाहिए. विद्यालय की भवन संरचना के आधार पर शिक्षक-बालक दर भी तय की गयी है.
60 बच्चों पर दो शिक्षक, 90 से अधिक बच्चों पर तीन शिक्षकों का होना जरूरी किया गया है. शिक्षकों का प्रशिक्षित होना भी मान्यता के लिए जरूरी किया गया है. सरकार यह भी देखेगी की 1.4.2013 के पूर्व नियुक्त किये गये शिक्षक प्रशिक्षित हैं अथवा नहीं. यदि विद्यालय शिक्षा के अधिकार कानून लागू होने के पहले (1.4.2010) से संचालित हो रहा है, तो वहां पर शिक्षकों के प्रशिक्षित होने के नियम को शिथिल किया जा सकता है. सभी विद्यालयों में शौचालय, शिक्षक का कमरा, प्राचार्य का कक्ष, प्लेग्राउंड भी होना जरूरी है.