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मैट्रिक: कल से प्रायोगिक परीक्षा शुरू

रांची: राज्य में मैट्रिक की प्रायोगिक परीक्षा दस मार्च से शुरू होगी लेकिन यहां के आधे से अधिक उच्च विद्यालयों में प्रयोगशाला नहीं है. इन स्कूलों में न प्रायोगिक कक्षाएं होतीं हैं और न ही विज्ञान के शिक्षक हैं. इन स्कूलों में बिना प्रैक्टिकल किये ही विद्यार्थी भौतिकी, रसायन व जीव विज्ञान की प्रायोगिक परीक्षा […]

रांची: राज्य में मैट्रिक की प्रायोगिक परीक्षा दस मार्च से शुरू होगी लेकिन यहां के आधे से अधिक उच्च विद्यालयों में प्रयोगशाला नहीं है. इन स्कूलों में न प्रायोगिक कक्षाएं होतीं हैं और न ही विज्ञान के शिक्षक हैं. इन स्कूलों में बिना प्रैक्टिकल किये ही विद्यार्थी भौतिकी, रसायन व जीव विज्ञान की प्रायोगिक परीक्षा देते हैं. रांची जिले में कुल 73 राजकीय, राजकीयकृत व प्रोजेक्ट उच्च विद्यालय है.

इनमें से 12 स्कूलों में प्रयोगशाला नहीं है. जिन स्कूलों में प्रयोगशाला हैं, वहां भी उपकरण टूटे-फूटे हैं. प्रयोगशाला में पानी की व्यवस्था नहीं है. सरकारी स्कूलों के अलावा राज्य के स्थापना अनुमति प्राप्त अधिकांश विद्यालयों में भी प्रयोगशाला निर्धारित मापदंड के अनुरूप नहीं है. जिले के एक दर्जन उच्च विद्यालय में प्रयोगशाला नहीं है.

आदर्श उच्च विद्यालय रुगड़ी, बालकृष्ण प्लस टू उच्च विद्यालय (मरम्मत की आवश्यकता) छोटानागपुर बालिका उच्च विद्यालय रांची, राजकीय संस्कृत उच्च विद्यालय, हिनू यूनाइटेड उच्च विद्यालय हिनू, जनता प्लस टू उच्च विद्यालय खलारी, प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय अरमालटदाग, प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय ठाकुरगांव, प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय डोमनडीह, प्रोजेक्ट उच्च विद्यालय चान्हो, एसएस उच्च विद्यालय बेड़ो शामिल है. प्रायोगिक परीक्षा के नाम पर स्कूलों में वसूली की जाती है. शहर से लेकर ग्रामीण स्कूलों में प्रायोगिक परीक्षा के लिए विद्यार्थियों से एक विषय के लिए दो सौ रुपये तक लिये जाते हैं. वर्ष 2012 में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने इटकी स्थित एक उच्च विद्यालय में तीन शिक्षकों को प्रायोगिक परीक्षा में पैसा लेते पकड़ा था. उनको निलंबित कर दिया गया था.

गृह केंद्रों पर ही होती है परीक्षा
प्रायोगिक परीक्षा गृह केंद्रों पर होती है. जीव विज्ञान, भौतिकी व रसायन की प्रायोगिक परीक्षा 20 अंक की होती है. इस वर्ष प्रायोगिक परीक्षा 10 से 15 मार्च तक होगी. प्रायोगिक परीक्षा के अंक भी संबंधित विद्यालय के शिक्षक ही देते हैं. सभी विद्यालय के प्रधानाध्यापकों को निर्देश दिया गया है कि प्रायोगिक परीक्षा का प्राप्तांक 20 मार्च तक जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में जमा कर दें. जिला शिक्षा पदाधिकारी को 24 मार्च तक प्राप्तांक झारखंड एकेडमिक काउंसिल कार्यालय में जमा करने को कहा गया है.

बिजली व पानी नहीं
जिन स्कूलों में प्रयोगशाला है, वहां बिजली व पानी की व्यवस्था नहीं है. राम मनोहर लोहिया उच्च विद्यालय उमेडंडा, ग्राम विकास उच्च विद्यालय सिल्ली, उच्च विद्यालय तमाड़ में बिजली की व्यवस्था नहीं है. प्रोजेक्ट उच्च विद्यालय टांगर में न तो बिजली है न ही पानी.

पारा शिक्षकों के भरोसे पढ़ाई
राज्य गठन के बाद उच्च विद्यालयों की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गयी, लेकिन इनमें आज तक शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई. 1232 विद्यालयों में विज्ञान के शिक्षक नहीं हैं. पारा शिक्षकों के भरोसे पठन-पाठन चलता हैं. राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत विद्यालयों को प्रयोगशाला के लिए कुछ उपकरण भी उपलब्ध कराया गया है. शिक्षक नहीं होने के कारण ये उपकरण भी बेकार पड़े हैं.

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