बजट को आधार बनाया जाये, तो एक विद्यार्थी पर लगभग 11 हजार रुपये खर्च हो रहे हैं. इस विवि का क्षेत्र भी बड़ा है. अब सरकार ने इस विवि को बांट कर कोयलांचल विवि( विनोद बिहारी विवि) बनाने का निर्णय लिया है. इसकी प्रक्रिया अंतिम चरण में है. विवि मुख्यालय व उसके अंगीभूत कॉलेजों पर सालाना लगभग 300 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. इसमें राज्य सरकार वेतन, पेंशन आदि पर लगभग 100 करोड रुपये खर्च करती है. इसके अलावा यूजीसी से विकास मद के लिये 12वीं योजना मद में 13 करोड़ 55 लाख रुपये मिले हैं. यह राशि भवन निर्माण और सुंदरीकरण पर खर्च की जा रही है.
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एक हजार विद्यार्थी पर सिर्फ एक शिक्षक
हजारीबाग/रांची: वर्ष 1992 में रांची विवि से अलग हुए विनोबा भावे विवि हजारीबाग ने भले ही देश की रैंकिंग सूची में अपना स्थान बना लिया हो, लेकिन इस विवि की स्थिति अब भी पूरी तरह से नहीं सुधरी है. वर्तमान में यहां एक हजार विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए एक शिक्षक है. शिक्षकों की भारी […]
हजारीबाग/रांची: वर्ष 1992 में रांची विवि से अलग हुए विनोबा भावे विवि हजारीबाग ने भले ही देश की रैंकिंग सूची में अपना स्थान बना लिया हो, लेकिन इस विवि की स्थिति अब भी पूरी तरह से नहीं सुधरी है. वर्तमान में यहां एक हजार विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए एक शिक्षक है. शिक्षकों की भारी कमी है. विवि में लगभग डेढ़ लाख विद्यार्थी अध्ययनरत हैं.
विवि के प्रतिकुलपति प्रो मनोरंजन प्रसाद सिन्हा बताते हैं कि पीजी में 22 विभाग है, लेकिन मात्र छह स्वीकृत पद हैं. विवि में लगभग 800 शिक्षक हैं. यानी लगभग एक हजार विद्यार्थी पर एक शिक्षक काम कर रहे हैं. शोध कार्य की गति धीमी है. बजट के अनुसार राशि प्राप्त नहीं हो पाती है. फलस्वरूप कई काम आंतरिक स्रोत से करना पड़ता है. इस विवि में शिक्षकेतर कर्मियों की भी भारी कमी है. स्थिति यह है कि विवि में व्याख्याता के स्वीकृत पद 770 हैं, जबकि 564 कार्यरत हैं. यहां 206 पद अभी भी रिक्त हैं. इस विवि में रीडर (एसोसिएट प्रोफेसर) के स्वीकृत पद छह हैं, लेकिन अब तक यहां सभी पद खाली हैं. प्रोफेसर के मामले में भी यह स्थिति है. प्रोफेसर के छह स्वीकृत पद हैं, लेकिन सभी खाली हैं. इसी प्रकार अंगीभूत कॉलेजों में 22 स्वीकृत पद हैं, इनमें सात ही स्थायी रूप से कार्यरत हैं, जबकि 15 पद रिक्त हैं. कॉलेजों में प्रोफेसर इंचार्ज से काम चलाया जा रहा है.
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