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गो पूजा से पूरी होती हैं सारी मनोकामनाएं
आस्था. सेलिब्रेशन हाॅल में प्रवचन करते हुए स्वामी राधाकृष्ण जी महाराज ने कहा रांची : कलयुग में गो माता के प्रति लोगाें में स्वार्थ भाव आ गया है, इसलिए गो पूजन की परंपरा समाप्त हो गयी है. गाय की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. घर में गाय की स्थापना देवी रूप […]
आस्था. सेलिब्रेशन हाॅल में प्रवचन करते हुए स्वामी राधाकृष्ण जी महाराज ने कहा
रांची : कलयुग में गो माता के प्रति लोगाें में स्वार्थ भाव आ गया है, इसलिए गो पूजन की परंपरा समाप्त हो गयी है. गाय की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. घर में गाय की स्थापना देवी रूप में होनी चाहिए, लेकिन आज हम अपने स्वार्थ के लिए घर मेें गाय रखते हैं. गाय से हमें दूध, घी व दही मिलता है, इसलिए हम उसे चारा खिलाते हैं और देखभाल करते हैं. उक्त बातें शुक्रवार को सेलिब्रेशन हॉल में चल रहे प्रवचन में स्वामी राधाकृष्ण जी महाराज ने कही.
उन्होंने कहा कि जैसे ही गाय दूध देना बंद कर देती है, वह हमारे लिए अनुपयोगी हो जाती है. उसे चारा कम दिया जाने लगता है. घर से हटा दिया जाता है. कोई इसे कसाई के यहां तक बेच देते है, लेकिन ब्रज में आज भी लोग दूध नहीं देने वाली गाय को उसी आदर के साथ रखते हैं, जैसा जब गाय दूध देती थी तब करते थे.
कृष्ण कथा का वर्णन करते हुए राधाकृष्ण जी ने कहा कि जब भगवान श्रीकृष्ण गोवर्धन पर्वत उठाये, तो ब्रजवासियों ने पूछा कि आखिर इतने बड़े पर्वत को उठाने की ताकत अापमें कहां से आयी. उन्होंने हंसते हुए कहा कि गो माता की पूजा-अर्चना से यह ताकत मुझे मिली है. इसके बाद ब्रज में हर काेई अपने घर में गो माता को रखने लगा. गो पूजा की परंपरा शुरू हो गयी. शास्त्र में भी इसका उल्लेख है. संध्या में आरती की गयी और लोगों के बीच प्रसाद वितरण किया गया.
गोपाष्टमी में ही नहीं करें पूजा: स्वामी राधाकृष्ण जी ने कहा कि हम आज गोपपाष्टमी या पर्व त्योहार में भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं. जैसे लगता है कि पूजा-अर्चना की परंपरा समाप्त हो गयी है. गो पूजा के लिए लोग अपने आप को सीमित कर लिये हैं. अगर सही में कल्याण चाहते हैं, गो पूजा को फिर से शुरू करें. घर में शांति व सुख अपने आप आने लगेगी.
ब्रज में नहीं बूचड़खाना: स्वामी जी ने कहा कि ब्रज में एक भी बूचड़खाना नहीं है, क्योंकि वहां गो की पूजा मां के समान होती है. लगाव के साथ लोग गो माता को अपने घर में रखते हैं. जब भी कोई इच्छा मन में आती है, लोग आरती की थाली लेकर गो की पूजा करने दौड़ पड़ते हैं, इसलिए गो की प्रधानता को देखते हुए कोई बूचड़खाना खोलने की हिम्मत नहीं करता है.
रांची : हरमू रोड स्थित गोशाला में शुक्रवार सुबह नाै बजे गो-पूजन कार्यक्रम शुरू हुआ. गोशाला प्रांगण में 40 जोड़ाें (पति-पत्नी) ने विधि-विधान से गो माता की पूजा की. तत्पश्चात गो माता की आरती उतारी गयी. पथमेड़ा गोधाम के संस्थापक दत्तशरणानंद जी महाराज के सानिध्य में पूजा कार्यक्रम संपन्न हुआ. हवन आरती के बाद गो भक्तों ने गो माता से आशीर्वाद प्राप्त किया. इस दौरान भक्तों के बीच प्रसाद भी बांटी गयी.
दत्तशरणानंद जी महाराज ने गो भक्तों को बताया कि गो माता का आश्रय 33 कोटी के देवी-देवताओं से है. ऐसी मान्यता है कि गो माता के पूजन शुभदायी और फलदायी होता है. किसी भी शुभ व धार्मिक कार्य से पहले गो माता की पूजन का विधान है. गो माता के पूजन से सभी कार्य अपने आप पूर्ण हो जाते हैं. प्रवक्ता प्रमोद सारस्वत ने बताया कि शनिवार को सुबह 8.30 बजे गोशाला परिसर में 40 जोड़ों द्वारा गो पूजन किया जायेगा. अनुष्ठान को सफल बनाने में प्रमोद सारस्वत, बबलू शर्मा, प्रवीण बागडिया, घनश्याम शर्मा आदि सहयोग कर रहे हैं.
गो भक्तों ने निकाली प्रभातफेरी:
गो पूजन से पूर्व सुबह छह बजे राधाकृष्ण जी महाराज के सानिध्य में प्रभातफेरी निकाली गयी. प्रभातफेरी अपर बाजार, नार्थ मार्केट होते हुए गोशाला पहुंच कर संपन्न हो गयी. प्रभातफेरी में शामिल भक्त भजन-कीर्तन करते चल रहे थे. प्रभातफेरी का जगह-जगह स्वागत किया गया.
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