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जिन मरीजों को डॉक्टर कहेंगे ना उनका ख्याल रखेगी सरकार

राज्य में शुरू हो रहा प्रशामक उपचार एवं देखभाल कार्यक्रम जीवेश रांची : ऐसे मरणासन्न रोगी, जिन्हें डॉक्टर ने जवाब दे दिया है, उनका ख्याल अब झारखंड सरकार रखेगी. चालू वित्त वर्ष में राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने प्रशामक उपचार एवं देखभाल कार्यक्रम शुरू किया है. पीपीपी मोड पर चलनेवाली इस योजना में वृद्ध, बीमार […]

राज्य में शुरू हो रहा प्रशामक उपचार एवं देखभाल कार्यक्रम
जीवेश
रांची : ऐसे मरणासन्न रोगी, जिन्हें डॉक्टर ने जवाब दे दिया है, उनका ख्याल अब झारखंड सरकार रखेगी. चालू वित्त वर्ष में राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने प्रशामक उपचार एवं देखभाल कार्यक्रम शुरू किया है. पीपीपी मोड पर चलनेवाली इस योजना में वृद्ध, बीमार और बेसहारा मरीजों (चाहे वो किसी भी बीमारी से पीड़ित हों) को चिह्नित किया जायेगा. ऐसे मरीजों को उसके घर जाकर सामाजिक, आध्यात्मिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से संतुष्ट रखने का काम किया जायेगा. एपीएल व बीपीएल मरीजों की देखभाल की जायेगी.
मरीजों का ख्याल रखने का काम इलाके के स्वयंसेवक और सहिया करेंगे. इसके लिए उन्हें सरकार मानदेय देगी. इसके एवज में एपीएल व बीपीएल मरीजों से कुछ सामान्य शुल्क लिया जायेगा. बीपीएल मरीजों का शुल्क सरकार और एपीएल मरीजों का शुल्क उसके परिजन देंगे. सनद रहे कि देश में अब तक सिर्फ केरल, महाराष्ट्र और कर्नाटक में यह कार्यक्रम चलाया जा रहा था. अब झारखंड में भी चलेगा.
क्या है योजना
कैंसर, एड्स, फेफड़ा, किडनी सहित कई गंभीर बीमारियां ऐसी हैं, जिसमें समय पर इलाज शुरू नहीं होने पर मरीज का बचना मुश्किल हो जाता है. ऐसे मरीजों को चिकित्सक भी ना कह देते हैं. चिकित्सक व अस्पताल की ना कहने के बाद मरीज की स्थिति खराब हो जाती है. ऐसे मरीजों की भावनात्मक व शारीरिक रूप से देखभाल करने से उनका अंतिम समय बेहतर हो सकता है, इसी विचार के तहत यह योजना शुरू की जा रही है. इसमें मरीजों की शारीरिक रूप से देखभाल करने से लेकर उसकी जरूरत को पूरा करने और बेहतर माहौल देने का काम घर जाकर ये स्वयंसेवक, एएनएम और सहिया करेंगे.
क्या है तैयारी
इस अभियान के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के स्वयंसेवकों, एएनएम, सहिया व चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा. इसके लिए बोकारो के एनजीओ कोशिश की भी मदद ली जायेगी. इस अभियान से राज्य के सभी स्वास्थ्य केंद्रों को भी जोड़ा जायेगा. सभी जिला का एक नोडल पदाधिकारी होगा. ऐसे मरीजों का निबंधन कर एक डाटा बैंक भी सरकार बनायेगी. जरूरी दवा निकट के स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त उपलब्ध होगी.

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