समीक्षा के दौरान यह भी पाया गया कि चार अक्तूबर को आरटीए की बैठक में 112 वाहनों के परमिट को रिन्युअल किया गया, लेकिन तीन माह बीतने के बाद भी आरटीए रांची द्वारा सिर्फ 11 परमिट जारी किया गया. 101 परमिट को लंबित रखा गया. इस बारे में पूछताछ करने पर आरटीए सचिव ने बताया कि जरूरी कागजातों व परमिट की मूल प्रति के आभाव में सभी मामले लंबित पड़े हैं, लेकिन समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि आरटीए सचिव द्वारा जरूरी कागजात प्राप्त करने के लिए संबंधित वाहन मालिकों को ई-मेल या एसएमएस से सूचना नहीं दी गयी. इस तरह परमिट को लंबित रखने से अनियमितता को बढ़ावा मिलता है. रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2015 में 1695 ट्रकों के स्थायी परमिट के लिए आरटीए रांची कार्यालय में आवेदन जमा किये गये. उसमें से 694 आवेदन अभी तक लंबित हैं. सामान्यत: यह काम सिर्फ एक-दो दिन का है.
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आरटीए सचिव पर लगे गंभीर आरोप, हटाने की अनुशंसा
रांची: उप परिवहन आयुक्त सह रांची आरटीए सचिव मनोज कुमार पर परमिट जारी करने के लिए दलाल के जरिये राशि वसूलने का आरोप है. आरोपों की जांच के बाद परिवहन विभाग के प्रधान सचिव केके खंडेलवाल ने कार्मिक सचिव से मनोज कुमार के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है. कार्रवाई की अनुशंसा से पहले परिवहन […]
रांची: उप परिवहन आयुक्त सह रांची आरटीए सचिव मनोज कुमार पर परमिट जारी करने के लिए दलाल के जरिये राशि वसूलने का आरोप है. आरोपों की जांच के बाद परिवहन विभाग के प्रधान सचिव केके खंडेलवाल ने कार्मिक सचिव से मनोज कुमार के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है. कार्रवाई की अनुशंसा से पहले परिवहन सचिव ने विभाग के संयुक्त सचिव व तत्कालीन संयुक्त परिवहन आयुक्त की समिति बना कर आरोपों की जांच करायी. साथ ही खुद सचिव ने आरटीए रांची कार्यालय के कार्यों की समीक्षा की. जांच में इस आरोप की पुष्टि हुई है कि आरटीए रांची के सचिव मनोज कुमार अपने कार्यालय में अनुपस्थित रहते हैं.
समीक्षा के दौरान यह भी पाया गया कि चार अक्तूबर को आरटीए की बैठक में 112 वाहनों के परमिट को रिन्युअल किया गया, लेकिन तीन माह बीतने के बाद भी आरटीए रांची द्वारा सिर्फ 11 परमिट जारी किया गया. 101 परमिट को लंबित रखा गया. इस बारे में पूछताछ करने पर आरटीए सचिव ने बताया कि जरूरी कागजातों व परमिट की मूल प्रति के आभाव में सभी मामले लंबित पड़े हैं, लेकिन समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि आरटीए सचिव द्वारा जरूरी कागजात प्राप्त करने के लिए संबंधित वाहन मालिकों को ई-मेल या एसएमएस से सूचना नहीं दी गयी. इस तरह परमिट को लंबित रखने से अनियमितता को बढ़ावा मिलता है. रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2015 में 1695 ट्रकों के स्थायी परमिट के लिए आरटीए रांची कार्यालय में आवेदन जमा किये गये. उसमें से 694 आवेदन अभी तक लंबित हैं. सामान्यत: यह काम सिर्फ एक-दो दिन का है.
क्या था आरोप
आरटीए रांची के सचिव मनोज कुमार के संबंध में परिवहन विभाग को कई स्राेताें से शिकायत मिली थी, जिसमें कहा गया था कि वह कार्यालय में अनुपस्थित रहते हैं. परमिट के आवेदनों को अनावश्यक व जानबूझ कर लंबित रखते हैं. कई अधिवक्ताओं ने भी इसकी शिकायत परिवहन आयुक्त से की थी. राज्य परिवहन प्राधिकर की बैठक के दौरान भी कई बस मालिकों ने लिखित रूप से यह शिकायत की थी कि शादी-विवाह के लिए विशेष परमिट के लिए भी समय पर परमिट जारी नहीं की जाती है. पूरे ऑफिस का संचालन बड़ा बाबू कौशल किशोर द्वारा संचालित किया जाता है और दलालों के जरिये राशि की उगाही की जाती है.
मुझे किसी तरह की जांच, जांच रिपोर्ट या कार्रवाई की अनुशंसा की जानकारी नहीं है. इसलिए मैं कुछ नहीं कह सकता.
मनोज कुमार, सचिव, आरटीए, रांची
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