उन्होंने कहा कि जब 2013 में वह केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री थे, तो उन्होंने कानून लाया था कि किसी भी जमीन को किसान की अनुमति के बिना अधिग्रहण नहीं किया जा सकता है. किसान यदि इसकी सहमति देता है, तो उसे चार गुणा ज्यादा मुआवजा मिलेगा. उसकी पुनर्वासन और पुनर्व्यस्थापन की जिम्मेवारी भी सरकार की होगी, लेकिन आज सरकार उस कानून की धज्जी उड़ा रही है और बगैर किसानों की इजाजत के जमीन छिन रही है. कानून बनाया गया था कि पांच वर्षों के अंदर यदि उस जमीन का उपयोग नहीं होता है, तो वह जमीन किसान को लौटा दी जायेगी. श्री रमेश ने कहा कि लोहरदगा में हिंडाल्को कंपनी है और यहां से कंपनी हजारों करोड़ों रुपये मुनाफा कमा रही है, लेकिन लोहरदगा को हिंडाल्को ने क्या दिया है, यह सबके सामने है.
रांची में घोषणा की जा रही है कि यहां निवेश किया होगा, लेकिन यह निवेश पूंजीपतियों के लिए है. उन्होंने कहा कि वीर बुधू भगत ने जल, जंगल , जमीन एवं संस्कृति की रक्षा के लिए इतना बड़ा काम किया. जमीन पर हकीकत अलग है और एक जन आंदोलन की जरूरत है, जो विधायक सुखदेव भगत के नेतृत्व में होगी. सभा को विधायक सह झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुखदेव भगत, पूर्व विधान पार्षद प्रवीण कुमार सिंह, विधायक दल के नेता आलमगीर आलम, झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री दुलाल भुईयां, युवा नेता अभिनव सिद्धार्थ ने भी संबोधित किया.