एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दाैरान जलस्रोतों को भरने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि तालाब भूमिगत जलस्तर को बनाये रखता है. जल संरक्षण में तालाब मददगार होते हैं.
उन्हें भर कर बिल्डिंग बनाना कहीं से भी उचित नहीं है. गरमी का माैसम आनेवाला है. लोगों को पेयजल का संकट नहीं होना चाहिए. संकट से निपटने की पूर्व से तैयारी होनी चाहिए. खंडपीठ ने रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार व रांची नगर निगम को शपथ पत्र के माध्यम से विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने पूछा कि कितने तालाबों को भर कर निर्माण किया गया है. वर्तमान में जो तालाब हैं, उनकी क्या स्थिति है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 फरवरी की तिथि निर्धारित की गयी. इससे पहले एमीकस क्यूरी अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने पक्ष रखते हुए तालाबों की स्थिति की जानकारी दी. उल्लेखनीय है कि जलस्रोतों के अतिक्रमण व साफ-सफाई से संबंधित प्रभात खबर में प्रकाशित खबर को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.