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मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को बनाया जा रहा निशाना

रांची: देश के 125 बुद्धिजीवियों ने एक पत्र लिख कर आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में मानवाधिकार का हनन हो रहा है. पत्र के माध्यम से अपील की है कि उस इलाके में कानून का पालन हो. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना नहीं बनाया जाये और इसका उल्लंघन करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई की जाये. […]

रांची: देश के 125 बुद्धिजीवियों ने एक पत्र लिख कर आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में मानवाधिकार का हनन हो रहा है. पत्र के माध्यम से अपील की है कि उस इलाके में कानून का पालन हो. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना नहीं बनाया जाये और इसका उल्लंघन करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई की जाये.
एक घटनाक्रम का जिक्र करते हुए पत्र में कहा गया है कि हाल ही में मानवाधिकार के लिए काम करनेवाली डॉ बेला भाटिया को निशाना बनाया गया है. पत्र के अनुसार डॉ भाटिया एक स्वतंत्र अध्येता (रिसर्चर) हैं. वह पिछले दो साल से बस्तर में रह कर शांतिपूर्वक काम कर रही हैं. गत 23 जनवरी को करीब 30 उग्र लोगों ने डॉ बेला भाटिया के परपा गांव (जगदलपुर) स्थित घर पर धावा बोला. उनका घर जलाने की धमकी दी और 24 घंटे के भीतर घर छोड़ कर जाने को कहा. ऐसा नहीं करने पर अंजाम भुगतने की चेतावनी दी.

पत्र के अनुसार उन लोगों के दबाव में आकर बेला भाटिया और उनकी मकान मालकिन को कागज पर यह लिखना पड़ा कि वह अगले दिन घर छोड़ देंगी. उल्लेखनीय है कि इस घटना से पहले बेला भाटिया ने बीजापुर के नजदीक सुरक्षाबलों द्वारा यौन-हिंसा की शिकार हुई महिलाओं की शिकायत की छानबीन के लिए आयी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम की मदद की थी. टीम ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने घटना का वीडियो फुटेज होने के बावजूद किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. इससे पहले भी बेला भाटिया को कई बार ऐसे उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है.

पत्र में कहा गया है कि बीते कुछ महीनों में बस्तर में मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील, पत्रकार तथा अध्येताओं को सताने की ऐसी कई घटनाएं हुई हैं. . स्क्रॉल की पत्रकार मालिनी सुब्रमण्यम और बीबीसी के आलोक पुतुल को भी इलाका छोड़ने के लिए मजबूर किया गया. इसके अलावा अन्य कई स्थानीय पत्रकारों (लिंगराम कोडोपी, संतोष यादव, समरु नाग तथा अन्य) को भी यहां परेशान किया गया है. पत्र में ऐसी कई घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा गया है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टिज (पीयूसीएल), एमनेस्टी इंटरनेशनल, सुप्रीम कोर्ट सहित अन्य जानी-मानी संस्थाओं ने बस्तर में मानवाधिकारों के हनन की लगातार आलोचना की है. लेकिन, इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. देश के नागरिक के रूप में हमलोग इस स्थिति को लेकर चिंतित हैं और तात्कालिक सुरक्षा के ख्याल से हमारी मांगों पर ध्यान दिया जाये़
इन्होंने की है अपील
जिन लोगों ने पत्र लिखा है उनमें शामिल हैं अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, अर्थशास्त्री एके शिव कुमार, दिल्ली हाइकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश सह लॉ कमीशन अॉफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन एपी साहा, स्टेन स्वामी, संपादकं सह प्रकाशक अजीथा जीएस, इंस्टीट्यूट अॉफ इकोनोमिक ग्रोथ, दिल्ली की प्रोफेसर अमिता बाविस्कर, मजदूर किसान शक्ति संगठन की अरुणा राय, कवि व संगीतकार जावेद अख्तर सहित 125 बुद्धिजीवी शामिल हैं.

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