श्री सोरेन ने कहा कि राज्य में भ्रम फैलाया जा रहा है कि मेरे मुख्यमंत्री काल में सीएनटी-एसपीटी में संशोधन का प्रस्ताव आया था. मेरे कार्यकाल में इस तरह का काेई प्रस्ताव नहीं आया था. ऐसे भी प्रस्ताव बनता है और मूल रूप बनता है, तो उसमें काफी अंतर रहता है. टीएसी में हमारे समय प्रस्ताव आया था कि आदिवासी जमीन की खरीद-बिक्री में थाना क्षेत्र की बाध्यता खत्म हो. एसएआर कोर्ट में मुआवजे का प्रावधान खत्म किया जाये. हमारे कार्यकाल में जमीन की प्रकृति बदलने का कोई प्रस्ताव नहीं था. श्री सोरेन कहा कि गैर कृषि कार्य में जब जमीन की प्रकृति बदल जायेगी, तो मालिकाना हक का कोई मतलब नहीं है. सरकार ने राज्य को अशांत कर दिया है. झामुमो नेता ने कहा कि रघुवर दास सत्ता के साथ-साथ विधानसभा के काम में भी हस्तक्षेप कर रहे हैं. स्पीकर की स्वायत्तता कम करने का काम हो रहा है. एक सवाल के जवाब में श्री सोरेन ने कहा कि आदिवासी-मूलवासी के हित में सारे नेताओं को एक मंच पर आना चाहिए. राज्य में विपक्ष की कहानी ही दूसरी है. विपक्ष के लोग सत्ताधारी दल के विधायक दल की बैठक में भी शामिल होते हैं. विधानसभा में विपक्ष में बैठते हैं. यह पूछने पर कि सदन के अंदर झाविमो-कांग्रेस का साथ नहीं मिल रहा है. झामुमो नेता ने कहा कि वे अपने दल की जानते हैं. झाविमो-कांग्रेस जाने की उनकी पार्टी का क्या स्टैंड है.
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बजट सत्र: झामुमो का विरोध जारी, नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने विधानसभा के बाहर कहा, सरकार गिराना नहीं चाहते संशोधन वापस ले सत्ता पक्ष
रांची: प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा है कि सीएनटी-एसपीटी में संशोधन के खिलाफ आमलोग हैं. आदिवासी-मूलवासी की बात सरकार को सुननी चाहिए. हम सदन में हामी भरने के लिए नहीं है. सदन में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर बातें आयी थीं. मत विभाजन की बात सदन में हुई थी. हम सरकार गिराना नहीं चाहते […]
रांची: प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा है कि सीएनटी-एसपीटी में संशोधन के खिलाफ आमलोग हैं. आदिवासी-मूलवासी की बात सरकार को सुननी चाहिए. हम सदन में हामी भरने के लिए नहीं है. सदन में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर बातें आयी थीं. मत विभाजन की बात सदन में हुई थी. हम सरकार गिराना नहीं चाहते हैं. सरकार संशोधन वापस ले. हम अविश्वास प्रस्ताव के संवैधानिक प्रावधान को देख रहे हैं. सरकार में शामिल कई लोग संशोधन के विरोध में है. भाजपा के बड़े नेता अर्जुन मुंडा ने भी तो विरोध किया है. श्री सोरेन सोमवार को विधानसभा में पत्रकारों से बात कर रहे थे.
श्री सोरेन ने कहा कि राज्य में भ्रम फैलाया जा रहा है कि मेरे मुख्यमंत्री काल में सीएनटी-एसपीटी में संशोधन का प्रस्ताव आया था. मेरे कार्यकाल में इस तरह का काेई प्रस्ताव नहीं आया था. ऐसे भी प्रस्ताव बनता है और मूल रूप बनता है, तो उसमें काफी अंतर रहता है. टीएसी में हमारे समय प्रस्ताव आया था कि आदिवासी जमीन की खरीद-बिक्री में थाना क्षेत्र की बाध्यता खत्म हो. एसएआर कोर्ट में मुआवजे का प्रावधान खत्म किया जाये. हमारे कार्यकाल में जमीन की प्रकृति बदलने का कोई प्रस्ताव नहीं था. श्री सोरेन कहा कि गैर कृषि कार्य में जब जमीन की प्रकृति बदल जायेगी, तो मालिकाना हक का कोई मतलब नहीं है. सरकार ने राज्य को अशांत कर दिया है. झामुमो नेता ने कहा कि रघुवर दास सत्ता के साथ-साथ विधानसभा के काम में भी हस्तक्षेप कर रहे हैं. स्पीकर की स्वायत्तता कम करने का काम हो रहा है. एक सवाल के जवाब में श्री सोरेन ने कहा कि आदिवासी-मूलवासी के हित में सारे नेताओं को एक मंच पर आना चाहिए. राज्य में विपक्ष की कहानी ही दूसरी है. विपक्ष के लोग सत्ताधारी दल के विधायक दल की बैठक में भी शामिल होते हैं. विधानसभा में विपक्ष में बैठते हैं. यह पूछने पर कि सदन के अंदर झाविमो-कांग्रेस का साथ नहीं मिल रहा है. झामुमो नेता ने कहा कि वे अपने दल की जानते हैं. झाविमो-कांग्रेस जाने की उनकी पार्टी का क्या स्टैंड है.
पहली पाली में 10 मिनट ही चली कार्यवाही
रांची. सीएनटी-एसपीटी में संशोधन के खिलाफ सदन के अंदर झामुमो का विरोध जारी है. सदन में गतिरोध खत्म नहीं हो रहा. सातवें दिन मंगलवार को सदन की पहली पाली में कार्यवाही महज 10 मिनट चली. विधायकों के प्रश्न सदन में नहीं आये.
सदन की कार्यवाही शुरू हाेते ही झामुमो विधायक चंपई सोरेन खड़े हो गये. इसके बाद झामुमो के दूसरे विधायक वेल में आ गये. झामुमो विधायक संशोधन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. सदन में अव्यवस्था देख स्पीकर दिनेश उरांव विधायकों से अपनी सीट पर बैठने के लिए बार-बार आग्रह करते रहे. स्पीकर का कहना था कि प्रश्नकाल चलने दें. स्पीकर ने प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन से भी आग्रह किया कि वे अपने विधायकों को बैठायें. स्पीकर प्रश्नकाल चलाने के लिए विधायकों से सहयोग मांग रहे थे. उधर, झाविमो और कांग्रेस के विधायक अपनी सीट पर बैठे रहे. हो-हल्ला के बीच संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने सदन में पिछड़ा आयोग का प्रतिवेदन रखा. स्पीकर के बार-बार आग्रह के बाद भी झामुमो विधायक डटे रहे. इसके बाद स्पीकर श्री उरांव ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी. दूसरी पाली में भी विरोध नहीं थमा. विधायक पूरी कार्यवाही वेल में ही धरना पर बैठे रहे. इस दौरान स्पीकर ने बजट पर चर्चा करायी.
योगेंद्र के मामले में लाया कार्यस्थगन : पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता योगेंद्र साव पर सरकार द्वारा क्राइम कंट्रोल एक्ट (सीसीए) लगाये जाने के मामले में कांग्रेसी विधायकों की ओर से कार्यस्थगन प्रस्ताव लाया गया. स्पीकर दिनेश उरांव ने यह कहते हुए कि यह लोकहित का मामला नहीं है, कार्यस्थगन को अस्वीकृत कर दिया. इस मामले में विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि 12 महीने में दूसरी बार सीसीए लगाया गया है.
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