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नहीं बना एक भी फ्लाई अोवर बरकरार है ट्रैफिक समस्या

लोगों को ट्रैफिक से निजात दिलाने के लिए राज्य में एक भी फ्लाई अोवर नहीं बन सका. फ्लाई अोवर की सबसे ज्यादा जरूरत रांची शहर को थी, इसलिए चार फ्लाई अोवर बनाने की कवायद भी शुरू हुई. फ्लाई अोवर का डीपीआर भी बना, लेकिन बाद में विभाग ने अपना फैसला वापस ले लिया. नतीजतन आज […]

लोगों को ट्रैफिक से निजात दिलाने के लिए राज्य में एक भी फ्लाई अोवर नहीं बन सका. फ्लाई अोवर की सबसे ज्यादा जरूरत रांची शहर को थी, इसलिए चार फ्लाई अोवर बनाने की कवायद भी शुरू हुई. फ्लाई अोवर का डीपीआर भी बना, लेकिन बाद में विभाग ने अपना फैसला वापस ले लिया. नतीजतन आज भी शहर ट्रैफिक समस्या में पिस रहा है.
रांची: सबसे पहले तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री सुदेश महतो ने राजभवन (कांके रोड) से हरमू रोड के लिए फ्लाई अोवर बनवाने की योजना को स्वीकृति दी थी. तब कोलकाता की एजेंसी ने इसके लिए डीपीआर बनाया. इसके बाद इसके लिए टेंडर निकालने पर बात हुई, पर मामला आगे नहीं बढ़ा.

दूसरी बार विभाग ने तीन साल पहले शहर के तीन प्रमुख स्थानों पर फ्लाई अोवर बनाने का निर्णय लिया. इसके तहत बिग बाजार से सुजाता चौक होते हुए राज अस्पताल तक, उर्दू लाइब्रेरी से अलबर्ट एक्का चौक होते हुए कचहरी रोड तक व सरकुलर रोड पर नियोजनालय से लालपुर चौक होते हुए लेडी केसी राय अस्पताल तक तीन फ्लाई अोवर बनाने की योजना को स्वीकृति दी. तीनों योजना के लिए डीपीआर भी तैयार हो गया. इन योजनाअों का डीपीआर पुणे व बेंगलुरू की कंपनियों ने बनायी. तय कर लिया गया कि कितनी जमीन इन प्रोजेक्ट के लिए लेनी है. जगह चिह्नित भी की गयी, लेकिन बात यहीं पर आकर रुक गयी. जब राष्ट्रपति शासन लगा, तो भी इन फ्लाई अोवर पर निर्णय लेने का मामला सामने आया, लेकिन इसे लोकप्रिय सरकार द्वारा निर्णय लिये जाने पर छोड़ दिया गया. अब पथ विभाग ने इन फ्लाई अोवर पर चर्चा ही छोड़ दिया.
दो फ्लाई अोवर की हो रही है बाात
पथ निर्माण विभाग के बाद अब नगर विकास विभाग ने फ्लाई अोवर बनवाने का बीड़ा उठाया है. नगर विकास ने कांके रोड (राजभवन के पीछे) से हरमू पुल तक अौर कांटाटोली में एक फ्लाई अोवर बनाने का फैसला लिया है. इसके लिए डीपीआर तैयार किया गया. इसे बनवाने की प्रक्रिया की जा रही है.
रातू रोड फ्लाई अोवर भी अधर में
इधर पथ निर्माण विभाग ने रातू रोड में फ्लाई अोवर निर्माण का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास रखा था. केंद्रीय सड़क, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इसके लिए सहमति भी दी. इसके तहत पिस्का मोड़ के आगे से लेकर रातू रोड चौराहा के आगे तक फ्लाई अोवर बनाने का निर्णय हुआ. केंद्र ने करीब 500 करोड़ रुपये देने की सहमति भी दी, लेकिन यह मामला भी पड़ा रह गया.
दो बार रद्द हो चुका है रातू रोड और कांटाटोल फ्लाई ओवर का टेंडर
रातू रोड चौक से हरमू पुल तक व कांटाटोली में बननेवाले दो फ्लाई ओवर के लिए पहली निविदा में तीन ही कंपनियों ने निविदा डाली थी. इसमें एल-1 कंपनी जेएमसी घोषित की गयी. पर मामला तब फंसा जब कंपनी ने शिड्यूल्ड रेट से 49 प्रतिशत अधिक दर दिया था. निविदा का कुल इस्टीमेट 157.69 करोड़ का था. जबकि एल-1 कंपनी जेएमसी प्रोजेक्ट्स इंडिया लिमिटेड ने 236.21 करोड़ रुपये का रेट कोट किया था. जो इस्टीमेटेड कॉस्ट से 49.8 प्रतिशत अधिक था. अन्य कंपनियां सिंगला व नागार्जुना का दर इससे भी अधिक था. अंतत: विभाग ने इस टेंडर को रद्द कर दिया. इसके बाद दोबारा 30 अक्तूबर को टेंडर निकाला गया. इस बार दोनों फ्लाई ओवर के लिए अलग-अलग निविदा निकाली गयी. जिसमें हरमू फ्लाई ओवर निर्माण के लिए प्राक्कलित राशि 121 करोड़ रुपये रखी गयी थी. शेष कांटाटोली फ्लाई ओवर के लिए 40 करोड़ रुपये की प्राक्कलित राशि तय की गयी थी. पर इसमें भी कंपनियां नहीं आयी.

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