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ऑटो से अवैध वसूली:सरकार को भेजी रिपोर्ट में दिये गये सुझाव, सभी ऑटो को मिले परमिट खोलें टैक्स कलेक्शन सेंटर

रांची:सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि राजधानी में चल रहे सभी ऑटो, ई-रिक्शा को अलग-अलग रूट पर परमिट जारी किया जाये. परिवहन विभाग सभी रूटों पर टैक्स कलेक्शन सेंटर खोले, जहां विभिन्न रूटों पर चलनेवाले ऑटो से पहले फेरे में 50 रुपये और इसके बाद प्रति फेरा 10 रुपये का […]

रांची:सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि राजधानी में चल रहे सभी ऑटो, ई-रिक्शा को अलग-अलग रूट पर परमिट जारी किया जाये. परिवहन विभाग सभी रूटों पर टैक्स कलेक्शन सेंटर खोले, जहां विभिन्न रूटों पर चलनेवाले ऑटो से पहले फेरे में 50 रुपये और इसके बाद प्रति फेरा 10 रुपये का टैक्स वसूला जाये.

उम्मीद जतायी गयी है कि इस व्यवस्था के लागू होने से ट्रैफिक
पुलिस द्वारा की जा रही वसूली पर रोक लगायी जा सकेगी. साथ ही सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी. सरकार के शीर्ष अधिकारी भी मानते हैं कि अधिकांश ऑटो चालक आर्थिक रूप से कमजोर और गरीब हैं और उनकी जीविका का साधन ऑटो ही हैं.
ट्रैफिक पुलिस द्वारा गुंडा तत्वों के जरिये करायी जा रही वसूली से सरकार की बदनामी हो रही है.
ऑटो चालक एसोसिएशन ने की सभी ऑटो को परमिट देने की मांग
ऑटो चालक एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश सोनी ने भी यह मांग की है कि राजधानी में चल रहे सभी ऑटो को परमिट जारी की जाये. 13 हजार ऑटो को शहरी क्षेत्र के लिए और शेष ऑटो को ग्रामीण क्षेत्र के परमिट जारी की जाये. ताकि परमिट के नाम पर हो रही अवैध वसूली पर रोक लग सके.
पड़ोसी राज्य बिहार में परिवहन विभाग ने खोला है टैक्स काउंटर
बिहार में इसी तरह की व्यवस्था लागू है. वहां ऑटो चालकों से टैक्स वसूली के लिए परिवहन विभाग द्वारा टैक्स काउंटर खोला गया है. परिवहन विभाग के लोग ही टैक्स की वसूली करते हैं. ट्रैफिक के जवानों को परमिट से मतलब नहीं रहता है. उनका काम सिर्फ ट्रैफिक व्यवस्था को संभालना रहता है.
थाना प्रभारियों को हटा कर केवल खानापूर्ति की गयी : एसोसिएशन
रांची. ऑटो चालकों से अवैध वसूली मामले में चार थाना प्रभारियों को हटाने की कार्रवाई को झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने खानापूर्ति बताया है. एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह और महामंत्री अक्षय कुमार राम ने डीजीपी को पत्र लिख कर कहा है कि ट्रैफिक पुलिस में सिपाही से लेकर एसपी तक पदस्थापित हैं. इसलिए उच्चस्तरीय जांच करायी जाये, ताकि सभी रैंक के पुलिस पदाधिकारियों की संलिप्तता की गहराई से जांच हो सके. पत्र में इंस्पेक्टर के पद पर दारोगा की पोस्टिंग पर भी सवाल उठाया गया है. कहा गया है कि सरकार ने जब जून-2015 में ही चारों ट्रैफिक थाना प्रभारियों के पद को इंस्पेक्टर रैंक में अपग्रेड कर दिया था और पुलिस मुख्यालय ने रांची जिला को पर्याप्त संख्या में इंस्पेक्टर स्तर का पदाधिकारी उपलब्ध करा दिया था. फिर ट्रैफिक थानों के प्रभारी के पद पर इंस्पेक्टर रैंक के पदाधिकारियों की पोस्टिंग क्यों नहीं की? उन्हें पुलिस लाइन में रखा गया, जबकि पुलिस लाइन में इंस्पेक्टर का कोई पद नहीं है.

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