रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने सरकार द्वारा ब्लैक लिस्टेड कंपनियों के साथ दवा आपूर्ति के लिए किये गये एमअोयू पर कड़ी नाराजगी जतायी. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि ब्लैक लिस्टेड दवा कंपनियों के साथ कैसे […]
रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने सरकार द्वारा ब्लैक लिस्टेड कंपनियों के साथ दवा आपूर्ति के लिए किये गये एमअोयू पर कड़ी नाराजगी जतायी. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि ब्लैक लिस्टेड दवा कंपनियों के साथ कैसे एमअोयू किया गया.
हाइकोर्ट ने निर्देश दिया कि दवा आपूर्ति के लिए एमअोयू पर हस्ताक्षर करनेवाले अधिकारियों के खिलाफ जांच की जाये. जांच में दोषी पाये जाने पर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी जाये. साथ ही राज्य सरकार को तुरंत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने कहा कि यदि समय सीमा के अंदर शपथ पत्र दाखिल नहीं किया जाता है, तो अगली सुनवाई के दाैरान स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को सशरीर उपस्थित रहना होगा. मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 जनवरी की तिथि निर्धारित की. खंडपीठ ने माैखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार के अधिकारी आम नागरिकों के स्वास्थ्य के प्रति इतने लापरवाह कैसे हो सकते है? यह लोगों की जिंदगी से जुड़ा हुआ मामला है. नकली दवा बच्चों के साथ नागरिकों के स्वास्थ्य पर असर डालता है. यह लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने जैसा है. जिन्हें ब्लैकलिस्टेड किया, उन्हीं के साथ आप एमअोयू कर रहे हैं.
जवाब नहीं दाखिल करने पर जतायी नाराजगी
खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि वर्ष 2014 से यह मामला चल रहा है, लेकिन सरकार की अोर से अब तक जवाब दाखिल नहीं किया गया. समय पर जवाब नहीं देने की परिपाटी बन गयी है. ऐसा नहीं चलेगा, तुरंत जवाब दाखिल किया जाये. इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता विजय शंकर प्रसाद ने खंडपीठ को बताया कि वर्ष 2014 में राज्य सरकार ने हिंदुस्तान एंटी बायोटिक्स लिमिटेड पुणे, इंडियन ड्रग्स एंड फर्मास्यूटिकल्स लिमिटेड दिल्ली, कर्नाटका एंटी बायोटिक्स एंड फर्मास्यूटिकल्स लिमिटेड बेंगलुरु व बंगाल केमिकल एंड फर्मास्यूटिकल्स लिमिटेड, कोलकाता नामक कंपनियों के साथ दवा आपूर्ति के लिए एमओयू किया था. पांच करोड़ रुपये की 141 प्रकार की दवा आपूर्ति करने के लिए कहा गया.
अधिवक्ता ने यह भी बताया कि इन कंपनियों को पूर्व में राज्य सरकार ने ब्लैक लिस्टेड किया है. इन्होंने शर्त के अनुरूप काम नहीं किया था. यह मामला सीधे आम जनता के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है, लेकिन अधिकारी आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी प्रमोद कुमार सिंह ने जनहित याचिका दायर की है.