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मेले में झारखंड की 17 खादी संस्थाओं की भागीदारी

रांची : मोरहाबादी मैदान में लगे खादी मेले में इस बार झारखंड की कुल 18 खादी संस्थाअों में से 17 भाग ले रही हैं. पहले सिर्फ एक संस्था का खादी मेला में स्टॉल होता था, पर इस बार वही संस्था (कस्तूरबा खादी ग्राम संस्था मुरी रांची) भाग नहीं ले रही है. जानकारों के अनुसार खादी […]

रांची : मोरहाबादी मैदान में लगे खादी मेले में इस बार झारखंड की कुल 18 खादी संस्थाअों में से 17 भाग ले रही हैं. पहले सिर्फ एक संस्था का खादी मेला में स्टॉल होता था, पर इस बार वही संस्था (कस्तूरबा खादी ग्राम संस्था मुरी रांची) भाग नहीं ले रही है. जानकारों के अनुसार खादी बोर्ड में नेतृत्व बदलने के कारण इस बार ऐसा हो रहा है. मुरी की संस्था का पहले की व्यवस्था में खास महत्व था. इधर, विभिन्न खादी संस्थाअों का वर्षों से बकाया राशि का भुगतान भी खादी बोर्ड ने किया है. खादी बोर्ड सूत्रों के अनुसार एक-एक संस्था का गत सात-आठ वर्षों से 10 से 20 लाख रुपये तक बकाया था. इन सबका भुगतान कर दिया गया है. हरियाणा के एक आपूर्तिकर्ता का बकाया 2.75 करोड़ रुपये का भुगतान करने की भी बात कही गयी है.
खादी बोर्ड से बुनकरों को जोड़ने के भी प्रयास किये जा रहे हैं. बोर्ड के अनुसार एक लाख तीन हजार बुनकरों को खादी से जोड़ दिया गया है. पहले कितने बुनकर खादी संस्थाअों से संबद्ध थे, इसकी पक्की जानकारी नहीं है.
मेहनताना बढ़ाना होगा
इधर, खादी के एक जानकार के अनुसार सभी खादी संस्थाअों में कम ही बुनकर हैं. दावा अधिक का हाेता है. फील्ड के लोगों के अनुसार सूत कातने तथा कपड़ा बुनने के काम में लगे लोगों को आज रोज का मेहनताना सरकार की न्यूनतम मजदूरी के बराबर भी नहीं मिलता.
यही कारण है कि बुनकर अब इस पेशे में नहीं रहना चाहते. वहीं यदि इन्हें न्यूनतम मजदूरी दी जाये, तो खादी कपड़ा निर्माण की लागत बढ़ जायेगी. ऐसे में कीमत स्थिर रखने के लिए सरकार को खादी पर सब्सिडी (छूट) 50 फीसदी तक बढ़ानी पड़ सकती है, जो संभव नहीं है.

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