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जनजातीय विभाग: पीएचडी के लिए नहीं मिल रहे गाइड

रांची: झारखंड बने 13 साल हो गये, लेकिन रांची विवि अंतर्गत स्नातकोत्तर जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विभाग की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया. यहां नौ भाषाओं की पढ़ाई होती है. इनमें कुल मिला कर लगभग 1900 विद्यार्थी हैं. दो शिफ्ट में कक्षाएं भी चल रही हैं, जबकि विवि सेवा से नियुक्त मात्र चार […]

रांची: झारखंड बने 13 साल हो गये, लेकिन रांची विवि अंतर्गत स्नातकोत्तर जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विभाग की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया. यहां नौ भाषाओं की पढ़ाई होती है. इनमें कुल मिला कर लगभग 1900 विद्यार्थी हैं.

दो शिफ्ट में कक्षाएं भी चल रही हैं, जबकि विवि सेवा से नियुक्त मात्र चार ही शिक्षक हैं. इनमें संताली, कुड़ुख में एक-एक और नागपुरी में दो शिक्षक हैं. विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या और शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए विभाग में रिसर्च स्कॉलर से या फिर दूसरे कॉलेज के शिक्षकों या फिर सेवानिवृत्त शिक्षक से किसी तरह पढ़ाई पूरी की जा रही है. स्थिति यह है कि पीएचडी के लिए भी विद्यार्थियों को गाइड नहीं मिल रहे हैं.

क्लासरूम भी लगभग 10 ही हैं. जबकि 24 पेपर की पढ़ाई होनी है. कभी विवि की तरफ से विभाग के भवन, बाथरूम आदि की मरम्मत के लिए 25 हजार रुपये मिले थे, लेकिन इससे काम अधूरा ही रह गया.

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