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सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ दिया धरना

रांची: झारखंड आदिवासी संघर्ष मोरचा के तत्वावधान में सोमवार को राजभवन के समक्ष धरना दिया गया. यह धरना सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ दिया गया. धरना के बाद राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया. इसमें एक्ट में संशोधन को आदिवासी मूलवासी जनता की भावना के खिलाफ बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की गयी […]

रांची: झारखंड आदिवासी संघर्ष मोरचा के तत्वावधान में सोमवार को राजभवन के समक्ष धरना दिया गया. यह धरना सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ दिया गया. धरना के बाद राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया. इसमें एक्ट में संशोधन को आदिवासी मूलवासी जनता की भावना के खिलाफ बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की गयी है.

धरना कार्यक्रम में पूर्व विधायक देवकुमार धान ने कहा कि मुख्यमंत्री बहुमत में होने का भ्रम पाल कर मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं. लेकिन, हम सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ अंतिम समय तक संघर्ष करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि राज्य में आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन न करें.

मोरचा के प्रवक्ता सह संयोजक प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि विधानसभा में महज तीन मिनट में एक्ट में संशोधन किया गया. बिना बहस व राज्य के लोगों की सहमति लिये बिना ही भाजपा ने लोकतंत्र की हत्या की है. प्रेमशाही ने कहा कि 30 दिसंबर को मोरहाबादी के संगम गार्डेन में होनेवाली बैठक में आंदोलन की रूपरेखा तय की जायेगी. धरना में प्रो प्रवीण उरांव, सोमा मुंडा, दामू मुंडा, दर्शन गंझू, अभय भुंटकुंवर, अजीत उरांव, रायमनी मुंडा, राम उरांव, डेविड विक्टर नाग, गंदरू उरांव, विनोद उरांव, वंदना पाहन, जोहन नाग, महावीर मुंडा सहित अन्य उपस्थित थे.

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