डोमचांच (कोडरमा). जिला प्रशासन ने हाल ही में कोडरमा की नौ पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया है. पर इन पंचायतों की सच्चाई धरातल पर कुछ अलग है. इनमें डोमचांच प्रखंड की बगड़ो पंचायत भी शामिल है. इस पंचायत के मुखिया द्वारिका साव के घर में ही शौचालय नहीं है. मुखिया और उनके परिवार के सदस्य खुले में शौच जाते हैं.
यही हाल अन्य लोगों का है. इस पंचायत को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर आनन-फानन में कागजी प्रक्रिया पूरी कर दी गयी. पंचायत में 613 शौचालय का निर्माण हुआ है. वैसे यहां 1200 के करीब शौचालय बनाये जाने की जरूरत है. जिनके यहां शौचालय बना है, उनमें से कई तो इसका उपयोग नहीं करते. जितना शौचालय बना है, उनमें से कई की स्थिति ठीक नहीं है, ये उपयोग लायक नहीं हैं. कहीं पुआल रखा है, तो कहीं टूटा शौचालय अभियान को चिढ़ा
रहा है.
यह हाल तब है, जब पंचायत के मुखिया द्वारिका साव को पेयजल स्वच्छता विभाग, झारखंड सरकार द्वारा एक लाख रुपये बतौर पुरस्कार के रूप में वर्ष 2014-2015 में मिल चुका है.
मुखिया ने कहा, बना लेंगे शौचालय
मुखिया द्वारिका साव ने पूछे जाने पर कहा : पंचायत कागज पर खुले में शौच से मुक्त घोषित हुआ है, धरातल पर नहीं. अभी काफी शौचालय बनना बाकी है. पूर्व के मुखिया के समय में अधिकतर शौचालय बने थे. ऐसे में ये जर्जर हो गये. उन्होंने कहा : लोगों को शौचालय उपयोग के प्रति जागरूक किया जायेगा. जब उनसे यह पूछा गया कि आपके यहां शौचालय है, तो वे बगले झांकने लगे. कहा, वीडियो नहीं बनायें, शौचालय बनायेंगे ईंट व अन्य सामान लाये हैं. बहुत जल्द काम शुरू करेंगे. मुखिया ने यह भी कहा कि जल सहिया कभी भी क्षेत्र में नहीं आती है. मुखिया की मां चुड़वा देवी ने पूछे जाने पर बताया कि शौच के लिए हमलोग बाहर खेत जाते हैं. हम शौचालय बनाना चाह रहे हैं.
सुंडी टोला निवासी युवराज सुंडी, प्रयाग सुंडी, रामचंद्र सुंडी, हीरालाल सुंडी, कौशल्या देवी, चेतनी देवी, बिहारी पंडित, छोटी तुरी, रीता देवी, रामदेव यादव, सुखदेव यादव, कैलाश यादव, गिरवर यादव, अशोक यादव, प्रकाश यादव, एतवारी पंडित, महेंद्र पंडित आदि के घरों में भी शौचालय नहीं है. यहीं के मनोज कुमार राम, दिलीप साव के यहां तो शौचालय बना है, पर दरवाजा नहीं है.
शिबू साव, संतोष शर्मा, रोहिनी देवी ने बताया कि शौचालय बनाने को लेकर कई बार अनुरोध किया गया, पर आज तक पहल नहीं की गयी
मुझे यह जानकारी नहीं है कि मुखिया के यहां शौचालय नहीं है. अगर ऐसा है, तो यह गंभीर मामला है. किस तरह की कार्रवाई की जा सकती है, इस पर विचार करते हैं. बगड़ो को खुले में शौच से मुक्त घोषित करने के साथ ही नकद पुरस्कार भी दिया गया है.
विनोद कुमार, कार्यपालक अभियंता, पीएचइडी
वर्ष 2014-15 में ही पंचायत स्तर से बगड़ो को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया था. सर्वे रिपोर्ट के आधार पर जिला कमेटी ने निर्णय लिया. पंचायत में 613 शौचालय बने हैं. यह हकीकत है कि अधिकतर लोग शौचालय का प्रयोग नहीं करते. ऐसे लोगों को जागरूक करने के लिए लगातार अभियान चल रहा है.
नारायण राम, बीडीओ
पंचायत में बने हैं 613 शौचालय,1200 की जरूरत
ग्रामीणों ने बताया कि वार्ड नंबर पांच में शौचालय बना ही नहीं है
एक वर्ष पूर्व रामी यादव के घर गड्ढा खोदा गया, पर यूं ही छोड़ दिया गया
पंचायत में कई शौचालय की छत नहीं है, कई के दरवाजे नहीं है
वार्ड आठ के सदस्य गुलाब प्रसाद ने बताया कि इस वार्ड में 25 लोगों का शौचालय नहीं बना है
गैठीबाद में 80 शौचालय बनने की जानकारी दी गयी, पर 15 लोग ही इसका उपयोग करते हैं. यहां सभी शौचालय की स्थिति दयनीय है
अजय शर्मा, विश्वनाथ ठाकुर, मनोज शर्मा, सहदेव ठाकुर, रोहित ठाकुर, मुन्ना ठाकुर, शंभु ठाकुर, राजू ठाकुर, कैलाश ठाकुर, प्रसादी ठाकुर, भिखी ठाकुर, छोटू ठाकुर, सैसमेन ठाकुर, सतन ठाकुर के यहां शौचालय ही नहीं है