रांची: ग्रामीण विकास विभाग (पंचायती राज) ने 14वें वित्त अायोग से पंचायतों को मिली अनुदान राशि के खर्च करने के मद व इसके तरीके संबंधी दिशा-निर्देश जारी किया है. शुक्रवार को जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि अनुदान राशि जलापूर्ति, स्वच्छता, नाली निर्माण, ठोस अवशिष्ट प्रबंधन, सामुदायिक संसाधनों का रखरखाव (जैसे तालाब, बाजार, […]
रांची: ग्रामीण विकास विभाग (पंचायती राज) ने 14वें वित्त अायोग से पंचायतों को मिली अनुदान राशि के खर्च करने के मद व इसके तरीके संबंधी दिशा-निर्देश जारी किया है. शुक्रवार को जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि अनुदान राशि जलापूर्ति, स्वच्छता, नाली निर्माण, ठोस अवशिष्ट प्रबंधन, सामुदायिक संसाधनों का रखरखाव (जैसे तालाब, बाजार, अांगनबाड़ी भवन व अन्य), सड़क/फूटपाथ का रखरखाव, सार्वजनिक मार्ग व अन्य स्थानों में प्रकाश की व्यवस्था व इसके रखरखाव सहित कब्रगाह या श्मशान के रखरखाव पर ही खर्च की जा सकती है.
यह भी कहा गया है कि तकनीकी सामग्री जैसे सोलर लाइट सिस्टम व अन्य की खरीद सरकारी अभिकरण जैसे जेरेडा से ही की जानी है.
वहीं पेयजल से संबंधित योजनाअों का क्रियान्वयन संबंधित विभाग द्वारा या उनके तकनीकी परामर्श से ही कराया जायेगा. किसी कार्य का प्राक्कलन पंचायत सचिव व मुखिया के हस्ताक्षर से कनीय अभियंता को तैयार करना है.
जिन कार्यों का मानक ग्रामीण विकास विभाग के पास पहले से उपलब्ध है, उन्हें आधार बनाकर कार्य कराया जा सकता है. जैसे यदि 100 फीट की चहारदीवारी का मानक प्राक्कलन उपलब्ध है तथा तीन सौ फीट की चहारदीवारी बनानी है, तो सौ फीट के प्राक्कलन को तीन के गुणक में इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसे मानक प्राक्कलन के लिए अलग से तकनीकी स्वीकृति की जरूरत नहीं होगी. सभी पंचायतों में प्राक्कलन रजिस्टर रखने का भी निर्देश दिया गया है. इसमें कनीय अभियंता को किस तारीख को प्राक्कलन तैयार करने के लिए कहा गया तथा उसने प्राक्कलन कब तैयार किया, इसकी तारीख अभियंता के हस्ताक्षर सहित अंकित करनी है.
रिश्तेदार नहीं होंगे अभिकर्ता : विभिन्न योजनाअों में संबंधित मुखिया, उप मुखिया, वार्ड सदस्य, पंचायत सचिव तथा प्रखंड स्तरीय कोई सरकारी कर्मी, पदाधिकारी या उच्चतर संस्था के जन प्रतिनिधि के निजी रिश्तेदार (ब्लड रिलेशन वाले) अभिकर्ता (ठेकेदार) नहीं बनाये जा सकेंगे.