ग्रामीण विकास विभाग मनरेगा के अलावा झारखंड राज्य आजीविका मिशन के जरिये यह काम करेगा. पर लाभुकों के चयन की जिम्मेवारी पंचायतों की होगी. ग्राम सभा खुद तय करेगी कि किसे लाभ मिलना है. इधर मनरेगा आयुक्त कार्यालय ने मनरेगा कार्यों के लिए स्पष्ट निर्देश जारी किये हैं. इनमें मजदूरों की अोर से काम की मांग पर ध्यान देना, स्वयं सहायता समूह के मेट के माध्यम से काम कराना, स्थल पर मस्टर रोल आने के बाद ही काम शुरू करना तथा समय पर वित्तीय आवंटन संबंधी आदेश जारी करना शामिल हैं.
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एक ही गरीब को कई संपत्तियाें व योजना का लाभ
रांची : ग्रामीण विकास विभाग का मानना है कि मनरेगा से राज्य के लोगों की गरीबी दूर की जा सकती है. यानी बीपीएल परिवारों को एपीएल बनाया जा सकता है. इसके लिए किसी गरीब को सिर्फ एक नहीं बल्कि कई संपत्तियां प्रदान की जा सकती है. मनरेगा के तहत ऐसा करने का निर्णय लिया गया […]
रांची : ग्रामीण विकास विभाग का मानना है कि मनरेगा से राज्य के लोगों की गरीबी दूर की जा सकती है. यानी बीपीएल परिवारों को एपीएल बनाया जा सकता है. इसके लिए किसी गरीब को सिर्फ एक नहीं बल्कि कई संपत्तियां प्रदान की जा सकती है. मनरेगा के तहत ऐसा करने का निर्णय लिया गया तथा इसकी शुरुआत भी कर दी गयी है. यानी एक ही गरीब को कुआं, मछली पालन के लिए तालाब तथा पशु शेड निर्माण जैसी सुविधाअों का लाभ दिया जा रहा है.
मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी मनरेगा कार्यक्रम को अति गरीबों पर फोकस करना चाहते हैं. गौरतलब है कि मनरेगा से सड़क निर्माण तथा इस जैसे दूसरे कार्यक्रमों का कोई उल्लेखनीय योगदान ग्रामीण जनजीवन पर दिखायी नहीं देता है. यह सोच भी बनी है कि किसी गरीब को उसके साल भर की आजीविका के लिए चार चीजों से जोड़ देने से बड़ा लाभ होगा. खेती, खेती से संबद्ध कार्य (मुरगी, गाय, सूकर व बकरी पालन) तथा दो अन्य गैर कृषि गतिविधि. इनमें गरीबों को प्रशिक्षण देकर कोई दुकान खोलना या अन्य कार्य करवाना शामिल है.
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