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पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप के लोग हैं सबसे बड़े मानव तस्कर

पीएलएफआइ के सब जोनल कमांडर ललित बड़ाइक ने संगठन के बारे में कई चौंकानेवाली जानकारी दी है. उसने आरोप लगाया कि पुलिस ने उसे हत्या के एक मामले में निर्दोष होते हुए भी जेल भेज दिया था. इसी आक्रोश में वह संगठन में शामिल हो गया. रांची :पीएलएफआइ के सब जोनल कमांडर ललित बड़ाइक ने […]

पीएलएफआइ के सब जोनल कमांडर ललित बड़ाइक ने संगठन के बारे में कई चौंकानेवाली जानकारी दी है. उसने आरोप लगाया कि पुलिस ने उसे हत्या के एक मामले में निर्दोष होते हुए भी जेल भेज दिया था. इसी आक्रोश में वह संगठन में शामिल हो गया.
रांची :पीएलएफआइ के सब जोनल कमांडर ललित बड़ाइक ने कोतवाली थाना में सरेंडर कर दिया़ वह एक लाख का इनामी है़ उसने कहा कि पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप के लोग सबसे बड़े मानव तस्कर है़ं गरीबों के लिए लड़ाई करने की बात कहनेवालेे संगठन के लोग सबसे अधिक गरीबों को दिल्ली में ले जाकर बेच देते है़ं .

उसने बताया कि उसके साथ संगठन के 30 लोग रहते थे़ मां एेश्वर्या देवी के कहने पर अपराध की दुनिया से निकल कर मुख्यधारा से जुड़ने के लिए उसने सरेंडर किया़ वर्ष 2006 में बानो में सिमडेगा के भाजपा जिला अध्यक्ष विश्वंभर सिंह की हत्या के बाद वह जेल गया था़ निर्दोष होते हुए भी उसे जेल भेज दिया गया था़, जबकि पुलिस को मालूम था कि असली हत्यारा कौन है़ जेल से निकलने के बाद जोनल कमांडर हीरा सिंह उसे लेकर जंगल में चला गया, उसके बाद वह पीएलएफआइ में शामिल हो गया था़ बिना वजह अारोप लगा कर जेल भेज देने के कारण पुलिस के प्रति उसे गुस्सा था़ उसी गुस्से के कारण पीएलएफआइ में वह शामिल हुआ़ उस पर सिमडेगा, बसिया, बानो व गुमला सहित कई थानों में 13 हत्या के मामले दर्ज है़ं उस पर 17 सीसीए एक्ट भी लगा हुआ है. 2010 में उसने संगठन छोड़ दिया़ उसके पास एके-47 राइफल थी. उसने एरिया कमांडर मंगरा को उसे देकर निकला था़ बाद में मंगरा की भी हत्या हो गयी़ उसने बताया कि संगठन की ओर से स्थानीय पुलिस को भी हर महीने 40 हजार रुपये दिये जाते है़ं.

2010 के बाद हत्या के डर से देश भर में घूम-घूम कर किया काम जवाहर नवोदय विद्यालय, गुमला से प्लस टू करनेवाले ललित उरांव ने बताया कि वह 2010 में संगठन से निकल गया़ हत्या के डर से देश के विभिन्न इलाकों में घूमता रहा़ वह गुजरात, अंडमान-निकाेबार, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, पुणे आदि जगहों पर काम करता रहा़ वर्ष 2010 में ही उसकी शादी हुई़ वर्तमान में वह एक बच्चे का पिता है़ हत्या के डर से उसके परिवार के सदस्य अंडरग्राउंड हो गये है़ं.
कोतवाली डीएसपी के पास सरेंडर करने पहुंचा उग्रवादी, उन्होंने पूछा : क्या काम है?
कोतवाली डीएसपी भोला प्रसाद सिंह के पास मंगलवार दोपहर 12़ 30 बजे पीएलएफआइ का जोनल कमांडर ललित उरांव सरेंडर करने के लिए पहुंचा़ कोतवाली डीएसपी ने उससे पूछा क्या काम है बताइए. उसने बताया कि वह पीएलएफआइ का जोनल कमांडर है और सरेंडर करने आया है़ उसके बाद कोतवाली डीएसपी व इंस्पेक्टर ने सरेंडर की प्रक्रिया पूरी की.
एक महीना तक समझाने के बाद किया सरेंडर : कोतवाली इंस्पेक्टर एसएन मंडल ने बताया कि एक महीने से वह ललित उरांव व उसके परिवार के संपर्क में थे. 10 दिन पहले वह सरेंडर करने को तैयार हुआ़ किसी मीडिया वाले को इसकी जानकारी नहीं थी़ जो लोग उसे सरेंडर करने में मदद कर रहे थे, उन्होंने ही मीडिया को बता दिया़ जिसके बाद सभी को इसकी जानकारी मिली. उन्होंने बताया कि उन्हाेंने उसके सरेंडर को इतना गुप्त रखा था कि सीनियर अफसर को भी इसकी जानकारी नहीं दी गयी थी़
संगठन की गलत नीति के कारण छोड़ा संगठन
पीएलएफआइ की गलत नीति के कारण ललित बड़ाइक ने संगठन छोड़ा़ उसने बताया कि संगठन अपनी नीति से पूरी तरह भटक गया है़ संगठन के उग्रवादी अब व्यापार कर रहे है़ं लेवी के रूप में जितनी भी राशि वसूली जाती है, उसका 30 प्रतिशत जोनल कमांडर को खर्च करने के लिए दिया जाता है, बाकी सुप्रीमो के पास भेज दिया जाता है़

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