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नोटबंदी: कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दे रही सरकार, जल्द संभव होगा आधार कार्ड से भुगतान करना

नोटबंदी के बाद से ही केंद्र और राज्य सरकारें कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही हैं. आमलोगों को विभिन्न सेवाओं अौर उत्पादों का लाभ लेने के लिए ई-वॉलेट, ऑनलाइन बैंकिंग, आधार आधारित भुगतान प्रक्रिया समेत कई तरह के प्लेटफॉर्म भी उपलब्ध कराये जा रहे हैं. इस विशेष शृंखला के तहत ‘प्रभात खबर’ […]

नोटबंदी के बाद से ही केंद्र और राज्य सरकारें कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही हैं. आमलोगों को विभिन्न सेवाओं अौर उत्पादों का लाभ लेने के लिए ई-वॉलेट, ऑनलाइन बैंकिंग, आधार आधारित भुगतान प्रक्रिया समेत कई तरह के प्लेटफॉर्म भी उपलब्ध कराये जा रहे हैं. इस विशेष शृंखला के तहत ‘प्रभात खबर’ पाठकों तक उन विभिन्न माध्यमों की जानकारी पहुंचाने का प्रयास कर रहा है, जिनसे उन्हें कैशलेस ट्रांजेक्शन में सहूलियत हो.
रांची: केंद्र सरकार ने कैशलेस अर्थव्यवस्था को लागू करने के लिए आधार कार्ड युक्त भुगतान (अाधार इनेबल्ड पेमेंट) की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है. यह सेवा विशेषकर ग्रामीण इलाकों के लिए होगी. इस विधि से भुगतान करनेवाले का अधिक पढ़ा-लिखा होना या डेबिट-क्रेडिट की जानकारी होना भी जरूरी नहीं है. केवल उसके पास उसका 12 अंकों वाला आधार कार्ड होना ही काफी है. इस व्यवस्था में स्मार्ट फोन की जरूरी नहीं होती है. साधारण मोबाइल फोन की मदद से भी कोई ग्रामीण राशि का लेन-देन कर सकता है.

इस सेवा से झारखंड के गांवों को भी जोड़ा जायेगा. ऐसा इसलिए, क्योंकि सरकार का मानना है कि ग्रामीण इलाके में रहनेवाले लोग न तो ज्यादा पढ़े-लिखे होते हैं और न ही उनके पास डेबिट-क्रेडिट की समझ होती है. ऐसे में आधार कार्ड युक्त भुगतान विधि उनके लिए काफी सहज माध्यम है. सरकार की ओर से झारखंड समेत अन्य राज्यों में इसका व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है. कई जगहों पर तो आधार नंबर के जरिये ‘कार्ड लेस’ तथा ‘पिन लेस’ वित्तीय लेन-देन प्रायोगिक तौर पर शुरू भी कर दिया गया है.
ऐसे होता है आधार कार्ड युक्त लेन-देन
इस व्यवस्था के तहत ग्राहकों के पास एंड्रॉयड फोन नहीं भी रहे, तो भी वे वित्तीय लेन-देन कर सकेंगे. इसके लए दुकानदारों के पास स्मार्ट फोन का होना जरूरी है. भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूनिक अाइडेंटिफिकेशन अॉथोरिटी अॉफ इंडिया) ने स्मार्ट फोन रखनेवाले दुकानदारों के लिए एक छोटा फिंगर प्रिंट पहचान उपकरण विकसित किया है. जिसके तहत उंगली स्कैन कर सुविधा का लाभ लिया जा सकेगा.

इसमें दुकानदारों के समक्ष कोई ग्राहक मोबाइल फोन पर अपना आधार नंबर व रकम लिखेगा. इसके बाद इसमें लगे फिंगर प्रिंट पहचान उपकरण पर अपना फिंगर प्रिंट देगा. मैच करते ही उसके अाधार नंबर से लिंक किये गये खाते से उक्त रकम दुकानदार के खाते में चली जायेगी. फिलहाल यह व्यवस्था अधिकतर मोबाइल कंपनियां अपने नये ग्राहकों को बनाने के लिए कर रही हैं. मोबाइल कंपनियों के रीटेलरों को प्रीपेड मोबाइल का ग्राहक बनाने के लिए यह स्कैनर भी उपलब्ध करायी गयी है.
प्रज्ञा केंद्रों को उपलब्ध कराया जा रहा है इंटरनेट कनेक्शन
अाधार कार्ड के जरिये पेमेंट के लिए इंटरनेट लिंक ग्रामीण इलाके में स्थित प्रज्ञा केंद्र (कॉमन सर्विस सेंटर) मुहैया करायेंगे. इसके लिए सभी दुकानदारों या व्यापारियों को अपने-अपने क्षेत्र के प्रज्ञा केंद्रों में निबंधित होना होगा. मंत्रालय निबंधन कराने वाले दुकानदारों को सौ रुपये की इंसेंटिव (प्रोत्साहन राशि) भी दे रहा है.
कितने आधार कार्ड बने
रांची 28,71,667
धनबाद 25,22,829
खूंटी 5,41,428
रामगढ़ 9,33,332
हजारीबाग 17,76,006
बोकारो 19,72,399
गिरिडीह 24,46,700
देवघर 14,79,476
दुमका 13,21,816
गोड्डा 13,15,746
साहिबगंज 12,07,001
पाकुड़ 9,43,417
जामताड़ा 8,17,340
कोडरमा 7,41,807
पलामू 19,35,752
गढ़वा 13,66,580
गुमला 10,80,316
चतरा 10,22,034
लातेहार 7,53,996
सिमडेगा 6,25,103
लोहरदगा 5,17,672
पूर्वी सिंहभूम 22,04,287
पश्चिमी सिंहभूम 15,34,701
सरायकेला 10,52,648
नोट : आंकड़े अक्तूबर 2016 तक के

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