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आदिवासी-दलितों को जमीन छीने जाने का डर : उदित राज

अनुसूचित जाति-जनजाति और दलितों की एक ही समस्या रांची. सांसद और अखिल भारतीय एसटी-एससी इंपलाइज वेलफेयर काउंसिल के अध्यक्ष डॉ उदित राज ने कहा है कि सीएनटी में हुए संशोधन से आदिवासी और दलित डरे हुए हैं. उन्हें उनकी रैयती जमीन के छीने जाने का डर सता रहा है. उन्होंने कहा कि आदिवासी और दलितों […]

अनुसूचित जाति-जनजाति और दलितों की एक ही समस्या
रांची. सांसद और अखिल भारतीय एसटी-एससी इंपलाइज वेलफेयर काउंसिल के अध्यक्ष डॉ उदित राज ने कहा है कि सीएनटी में हुए संशोधन से आदिवासी और दलित डरे हुए हैं. उन्हें उनकी रैयती जमीन के छीने जाने का डर सता रहा है.
उन्होंने कहा कि आदिवासी और दलितों में सरकार के इस कदम से काफी आक्रोश भी है. उनकी शासन-प्रशासन ही नहीं निजी क्षेत्रों में भी भागीदारी बढ़नी चाहिए. शनिवार को रांची में मीडिया से बातचीत के क्रम में डॉ राज ने कहा कि किसी भी अधिनियम में संशोधन तब तक नहीं होना चाहिए, जब तक लाभुकों को उसका समुचित लाभ नहीं मिल सके. आदिवासी क्षेत्रों में पूंजी बाजार और व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ रही हैं. इसका लाभ आदिवासी और दलितों को नहीं मिल रहा है. ऐसे में सरकार की यह जवाबदेही है कि हर क्षेत्र में सभी की समान भागीदारी हो. आदिवासी और दलितों के लिए कर्ज लेने, प्रशिक्षण और बेहतर शिक्षा प्रदान करना भी सरकार की प्राथमिकता में होनी चाहिए.
डॉ राज ने कहा कि देश भर में अनुसूचित जाति-जनजाति और दलितों की एक ही समस्या है. उन्हें प्रोन्नति नहीं मिल रही है. ऊपर के सरकारी पद खाली हैं. कई सरकारों ने तृतीय और चतुर्थवर्गीय पदों पर ठेकेदारी व्यवस्था बहाल कर दी है. एससी-एसटी प्रोन्नति और आरक्षण से संबंधित विधेयक 2012 में लोकसभा में पास हो गया था, पर राज्यसभा में पास नहीं हो सका.

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