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कैशलेस व्यवस्था बहाल करना राज्य सरकार के लिए चुनौती!
दीपक रांची : झारखंड सरकार कैशलेस अर्थव्यवस्था बहाल करने की दिशा में अग्रसर है, लेकिन यह व्यवस्था बहाल करना सरकार के लिए चुनौतियों से कम नहीं है. आज भी राज्य के ग्रामीण इलाकों में गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाले लोगों की संख्या 41 फीसदी से अधिक है. गरीबी, कुपोषण और बुनियादी सुविधाओं की कमी का […]
दीपक
रांची : झारखंड सरकार कैशलेस अर्थव्यवस्था बहाल करने की दिशा में अग्रसर है, लेकिन यह व्यवस्था बहाल करना सरकार के लिए चुनौतियों से कम नहीं है. आज भी राज्य के ग्रामीण इलाकों में गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाले लोगों की संख्या 41 फीसदी से अधिक है. गरीबी, कुपोषण और बुनियादी सुविधाओं की कमी का असर साक्षरता पर पड़ रहा है. कैशलेस व्यवस्था पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था है. इसके लिए लोगों में एंड्रॉयड फोन के उपयोग की जानकारी जरूरी है. इसके उपयोग को लेकर व्यापक पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाये जाने की जरूरत है. वहीं लोगों का शिक्षित और जागरूक होना अधिक जरूरी है.
राज्य के अत्यधिक उग्रवाद प्रभावित इलाकों में बैंकों की शाखाएं भी कम हैं. वैसे केंद्र सरकार की तरफ से पांच हजार की आबादी में एक बैंक शाखा खोलने का निर्देश दिया गया है. झारखंड के बैंकों को इन क्षेत्रों में 50 शाखाएं खोलने को कहा गया है, पर सितंबर तक 10-15 शाखा ही खुल पायी है.
राज्य में 1.87 करोड़ लोग निरक्षर : राज्य की आबादी लगभग 3.29 करोड़ है. इनमें से 1.87 करोड़ लोग निरक्षर हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में निरक्षर लोगों की संख्या 1.29 करोड़ से अधिक है, जबकि शहरी इलाकों में ऐसे लोगों की संख्या 57.79 लाख है. ये आंकड़े 2011 की जनगणना के हैं.
झारखंड सरकार नौ नवंबर के बाद राज्य में कैशलेस अर्थव्यवस्था लागू करने के लिए सभी क्षेत्रों में अभियान चला रही है. ऐसे में अनपढ़ लोगों को जागरूक करने में सरकार को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है. राज्य में साक्षरता दर 67.63 प्रतिशत है. इसमें महिलाओं की साक्षरता दर 56.21 फीसदी व पुरुषों की साक्षरता दर 78.49 फीसदी है.
आंकड़ों के हिसाब से 1.11 करोड़ पुुरुष झारखंड में पढ़े-लिखे और साक्षर हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाएं कम पढ़ी-लिखी हैं. 75.85 लाख से कुछ अधिक महिलाएं राज्य में साक्षर हैं. शहरी क्षेत्रों में पुरुष साक्षरता दर 83.30 फीसदी है. वहीं ग्रामीण इलाकों में पुरुष साक्षरता दर 75.57 फीसदी है, जबकि 49.75 फीसदी ग्रामीण महिलाएं ही पढ़ी लिखी हैं.
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