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अलबर्ट एक्का की पत्नी की है इच्छा, सरकार मेरा टूटा घर बनवा दे

गुमला: परमवीर चक्र विजेता लांस नायक शहीद अलबर्ट एक्का का शहादत दिवस तीन दिसंबर को है. इस दिन राज्यभर में कई कार्यक्रम होते हैं. देश के लिए शहीद होनेवाले अलबर्ट एक्का का परिवार आज भी जर्जर घर में रहने को विवश है. शहीद की पत्नी बलमदीना एक्का ने कहा है कि मेरा घर टूट कर […]

गुमला: परमवीर चक्र विजेता लांस नायक शहीद अलबर्ट एक्का का शहादत दिवस तीन दिसंबर को है. इस दिन राज्यभर में कई कार्यक्रम होते हैं. देश के लिए शहीद होनेवाले अलबर्ट एक्का का परिवार आज भी जर्जर घर में रहने को विवश है. शहीद की पत्नी बलमदीना एक्का ने कहा है कि मेरा घर टूट कर गिर रहा है, लेकिन सरकार व प्रशासन का ध्यान नहीं है. बरसात में घर गिरा था.

इसकी अभी तक मरम्मत नहीं हुई है. मैंने प्रशासन से घर बनवाने की मांग की थी. बलमदीना ने राज्य सरकार से टूटे घर को बनवाने की मांग की है. 1942 में जिस खपड़ैल घर में अलबर्ट एक्का का जन्म हुआ था, उस घर की मरम्मत हो. पांच कमरे थे. तीन कमरे गिर गये हैं. दो कमरे हैं. वह भी गिरने के कगार पर है. उस घर में अभी कोई नहीं रहता है. घर में ताला लगा कर रखते हैं. उन्होंने कहा कि नेता मन पक्का घर में रहा थइन, मोर घर टूटल आहे.

प्रखंड की दुर्दशा पर निराशा : बलमदीना जारी प्रखंड का विकास नहीं होने से लोग निराश हैं. उन्होंने कहा कि मेरे पति के नाम से जारी को प्रखंड का दर्जा मिला. प्रखंड बने छह साल हो गये, लेकिन आज भी जारी प्रखंड का संपूर्ण विकास नहीं हुआ है. सरकार को जारी प्रखंड की ओर ध्यान देना चाहिए. लोगों को गांव में रोजगार मिलना चाहिए.

सिंचाई व स्वास्थ्य सुविधा के साथ-साथ इंटर कॉलेज की स्थापना होनी चाहिए. छत्तीसगढ़ से सटा हुआ है शहीद का प्रखंड : जारी प्रखंड छत्तीसगढ़ राज्य से सटा हुआ है. 19 मार्च 2010 को प्रखंड बने जारी में पांच पंचायत हैं. इसमें 60 गांव आते हैं. आबादी 30 हजार 926 है. यह पहला प्रखंड है जहां सोलर से बिजली जलती है. कुछ ही इलाकों में बिजली है. ग्रामीण विद्युतीकरण के तहत कई गांवों में बिजली नहीं पहुंची है. दो साल पहले एक करोड़ से बनी सड़क टूट गयी.

आज ही के दिन अलबर्ट एक्का ने दी थी देश के लिए शहादत
रांची. तीन दिसंबर 1971 का दिन परमवीर चक्र विजेता लांस नायक अलबर्ट एक्का का शहादत दिवस है. तीन दिसंबर 1971 को भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गंगासागर में पाकिस्तानी सेना 14 गार्डस पर लगातार फायर कर रही थी. इसी 14 गार्डस के लांस नायक अलबर्ट एक्का ने यह महसूस किया कि दुश्मन के पास लाइन मशीन गन है जिससे उनकी कंपनी के लोग मारे जा रहे हैं. अपनी जान की परवाह किये बिने वह दुशमन के बंकर में घुस गये. उन्होंने दुशमन के बंकर पर ग्रेनेड से हमला कर दिया. उनपर गोलियों की बौछार होनी लगी. पर इसकी सुध उन्हें नहीं थी. सीधे दुश्मन के लाइट मशीन गन का मुंह बंद कर वह रुके. उनके इस प्रयास से उनकी कंपनी के कई जवानों की जान बच गयी. पर अलबर्ट एक्का को अपनी शहादत देनी पड़ी. परमवीर के शव को त्रिपुरा में ही दफना दिया गया. उनकी इस शहादत को पूरे देश ने नमन किया. भारत सरकार ने अलबर्ट एक्का के मरणोपरांत वर्ष 2000 में उनको परमवीर चक्र से सम्मानित किया.
झारखंड राज्य के गुमला के जारी गांव में 27 दिसंबर 1942 को अलबर्ट एक्का का जन्म हुआ था. 1962 में उन्होंने भारतीय सेना ज्वाइन किया था. पिछले वर्ष परमवीर अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना एक्का ने शहीद की माटी को जारी गांव लाने का आग्रह किया था. माटी आयी. फिर बलमदीना ने शहीद की समाधि देखने की इच्छा जतायी. इसके बाद झारखंड सरकार ने उन्हें त्रिपुरा भी भेजा. परमवीर अलबर्ट एक्का चौक की याद में रांची के अलबर्ट एक्का चौक में उनकी प्रतिमा स्थापित की गयी है. वहीं तीन दिसंबर को जारी गांव में शहीद मेला का आयोजन भी किया जाता है.

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