गढ़वा: गढ़वा सदर अस्पताल में भवनाथपुर के शिवपुर की मंतिकुंवर अपनी बेटी के शव का अंत्यपरीक्षण कराने के लिए 15 घंटे तक गुहार लगाती रही. लेकिन चिकित्सकों का का दिल नहीं पिघला. अंतत: वह अपना दर्द लेकर उपायुक्त के जनता दरबार में गयी, जहां से सूचना मिलने पर उपायुक्त के कड़े निर्देश के बाद शव का अंत्यपरीक्षण किया गया और अंतिम संस्कार के लिए एंबुलेंस के माध्यम से शव उसके घर भेजा गया़.
सोमवार की शाम में खाना खाने के बाद मंति की पुत्री कविता देवी की तबीयत बिगड़ गयी. मंति ने उसे इलाज के लिए पहले भवनाथपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भरती कराया. यहां से से रेफर किये जाने पर नगरउंटारी अनुमंडलीय अस्पताल फिर सदर अस्पताल गढ़वा बेटी को ईलाज के लिए ले गयी.
गढ़वा सदर अस्पताल आते-आते पैसे खत्म हो गये़ वहीं अस्पताल में भरती कराने के एक घंटे के बाद रात करीब 12 बजे उसकी पुत्री की मौत हो गयी़ कविता देवी की मौत को संदेहास्पद मानते हुए अंत्यपरीक्षण कराने के लिए चिकित्सकों ने लिखा़ तब से लेकर मंगलवार को अपराह्न दो बजे तक वह पुत्री के शव को लावारिस छोड़ चिकित्सकों व कर्मियों के पास भूखी-प्यासी भटकती रही़ उसके साथ कोई पुरुष सदस्य नहीं था़ उसकी पुत्री का शव अंत्यपरीक्षण में पड़ा रहा़ जब उसने सिविल सर्जन से बात की, तो वहां से कहा गया कि पहले शव को घर तक ले जाने के लिए भाड़े का इंतजाम करो, इसके बाद ही अंत्यपरीक्षण किया जायेगा़ पास में एक रुपये भी नहीं होने के कारण वह अस्पताल परिसर में भटक रही थी, इसी दौरान सामाजिक कार्यकर्ता गौतम ऋषि ने उसे उपायुक्त से मिलने की सलाह दी़ उपायुक्त से मिलने पर चिकित्सकों को कड़ी फटकार लगी और तीन बजे शव का अंत्यपरीक्षण शुरू किया गया़ संध्या चार बजे बेटी के शव को एंबुलेंस के माध्यम से उसके घर भेजा गया़ इधर इस संबंध में जब सिविल सर्जन टी हेंब्रम से बात करने की कोशिश की गयी, तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया़ प्रभारी सिविल सर्जन बी रजक ने कहा कि वह अभी जिला मुख्यालय से बाहर हैं, उनके संज्ञान में इस तरह की कोई घटना नहीं है़