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कोर्ट मेें देंगे सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन काे चुनौती
रांची: आदिवासी बुद्धिजीवी मंच ने राज्य सरकार द्वारा सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन को न्यायालय में चुनौती देगा. उक्त बातें मंच के राष्ट्रीय संयोजक विक्टर मालतो, प्रेमचंद मुर्मू, डॉ जी तिग्गा व पड़हा राजा सनिका मुंडा ने कही. वे शनिवार को होटल अशोक में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि राज्य […]
रांची: आदिवासी बुद्धिजीवी मंच ने राज्य सरकार द्वारा सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन को न्यायालय में चुनौती देगा. उक्त बातें मंच के राष्ट्रीय संयोजक विक्टर मालतो, प्रेमचंद मुर्मू, डॉ जी तिग्गा व पड़हा राजा सनिका मुंडा ने कही. वे शनिवार को होटल अशोक में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल सीएनटी एक्ट, 1908, एसपीटी (सप्लीमेंटरी) एक्ट 1949 और बिहार अनुसूचित क्षेत्र विनियम, 1969 को संशोधित या निरस्त करने का अधिकार नहीं है़.
अनुसूचित क्षेत्र के प्रावधानों का हुआ उल्लंघन : उन्होंने कहा कि झारखंड के अाधे से अधिक जिले अनुसूचित क्षेत्र घोषित किये गये हैं. जहां संसदीय कानून पी-पेसा 1996 की धारा चार के प्रावधानों के अनुसार अनुसूचित जनजातियों की भूमि का हस्तांतरण, अधिग्रहण, पुनर्वापसी, सूदखोरों पर नियंत्रण, खनन कार्य और जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास के कार्यों के संचालन संबंधी निर्णय मुख्यमंत्री द्वारा नहीं, बल्कि स्वशासी जिला परिषद व स्वशासी ग्राम सभा द्वारा लिये जायेंगे़ राज्य की अनुसूचित जनजातियों व सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े अन्य वर्गों का विकास पी-पेसा 1996 और सीएनटी- एसपीटी एक्ट को समाप्त कर नहीं कर सकते़ इनके अनुपालन से ही राज्य का विकास होगा़.
जनजातियों के अस्तित्व पर लगा प्रश्नचिह्न : उन्होंने कहा कि सरकार ने कृषि योग्य भूमि के गैर कृषि उपयोग के लिए संशोधन किया है़ इससे कृषि योग्य भूमि का मूल स्वरूप बदल जायेगा़ अनुसूचित जन जातियों के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लग गया है़ सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी 2007 के आदेश में स्पष्ट कहा है कि नौंवी अनुसूची में शामिल भूमि संबंधी कानूनों को संशोधित कर उसके मूल स्वरूप को नहीं समाप्त किया जा सकता़ इन दोनों अधिनियमों में अनुसूचित जनजातियों के अपनी भूमि पर प्रशासनिक नियंत्रण, कृषि कार्य आदि करने, अपनी भाषा- संस्कृति, वेशभूषा, परंपरागत रीति-रिवाज व स्वशासन व्यवस्था को सुरक्षित रखने के लिए विशेष प्रावधान किये गये है़ं
पंचायत राज व्यवस्था और नगर निगम का गठन गलत : राज्य सरकार ने अनुसूचित क्षेत्रों में गैर संवैधानिक तरीके से पंचायत राज व्यवस्था और नगर निगम की स्थापना कर दी है़ ये दोनों संस्थाएंं सीएनटी व एसपीटी एक्ट का उल्लंघन करते हुए राज्य की जमीन को पूंजीपतियों व उद्योगपतियों को हस्तांतरित कर रही है़ अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत राज व्यवस्था और नगर पालिकाओं की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी है, जहां ये दोनों मामले अंतिम सुनवाई के लिए सूचिबद्ध है़ सरकार ने सवा साल से नोटिस का जवाब नहीं दिया है़ दूसरी ओर टीएसी के गठन के लिए अब तक आवश्यक नियमावली नहीं बनायी गयी है़ संवाददाता सम्मेलन में असरीता टूटी, मेडलिन तिर्की, प्रभाकर कुजूर व अन्य मौजूद थे़.
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