22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

छह लाख रुपये का कपड़ा बाजार हजार में सिमट गया

डेली मार्केट का हाल. नोटबंदी ने तोड़ी खुदरा कपड़ा व्यापारियों की कमर, िबक्री हुई कम राजधानी रांची के सबसे प्रचलित कपड़े की पुरानी खुदरा मंडी ‘डेली मार्केट’ में नोटबंदी का व्यापक असर दिख रहा है. नोटबंदी से पहले डेली मार्केट में रोजाना छह लाख रुपये तक का कारोबार यहां होता था, जबकि मौजूदा समय में […]

डेली मार्केट का हाल. नोटबंदी ने तोड़ी खुदरा कपड़ा व्यापारियों की कमर, िबक्री हुई कम
राजधानी रांची के सबसे प्रचलित कपड़े की पुरानी खुदरा मंडी ‘डेली मार्केट’ में नोटबंदी का व्यापक असर दिख रहा है. नोटबंदी से पहले डेली मार्केट में रोजाना छह लाख रुपये तक का कारोबार यहां होता था, जबकि मौजूदा समय में यह कारोबार हजार के आंकड़ों में सिमट कर रह गया है.
रांची : डेली मार्केट में 20 रुपये से लेकर 500 रुपये तक के कपड़े उपलब्ध हैं. यहां 150 से अधिक लोग पिछले 50 वर्षों से अधिक समय से अपनी दुकानें लगा कर अपनी आजीविका चला रहे हैं. इस मंडी में ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए यहां के दुकानदार आज भी दिन भर बोली लगाते रहते हैं. लेकिन, नोटबंदी के बाद से उनकी आवाज की गूंज कम हो गयी है. इन दुकानदारों को अब महाजनों ने कमीशन पर माल देना भी बंद कर दिया है. कई बुजुर्ग दुकानदारों ने यहां तक कहा कि इमरजेंसी में भी ऐसी आफत नहीं आयी थी. अब तो दिन भर में बोहनी हो गयी, तो किसी तरह परिवार का खाना जुट पा रहा है. दिन भर में जहां आठ नवंबर के पहले तीन से पांच हजार रुपये की प्रतिदिन की बिक्री होती थी. वह आज घट कर पांच सौ, हजार हो गयी है.
पहले भरी रहती थी मंडी, आज छायी है वीरानी : डेली मार्केट के खुदरा कपड़ा बाजार में जरूरत की चीजें लेने के लिए पुरानी रांची, चुटिया, रातू रोड, इटकी, नगड़ी और आसपास के गरीब लोग यहां आते हैं. पहले छुट्टी के दिनों में यहां पैर रखने की जगह नहीं मिलती थी, लेकिन फिलहाल यहां वीरानी छायी रहती है. जो थोड़े-बहुत लोग आ रहे हैं, उन्हें देने के लिए दुकानदारों के पास छुट्टे पैसा नहीं है. चूंकि बाजार में 100 रुपये का नोट नहीं है, इसलिए स्थिति और विकराल हो गयी है.
क्या कहते हैं दुकानदार
35 वर्षों में ऐसी स्थिति पहली बार : मो मतीन 35 वर्षों से डेली मार्केट में छोटे फ्राॅक की दुकान चला रहे हैं. रविवार दोपहर एक बजे तक बोहनी नहीं हुई थी. दबी जुबान से कहा कि बाजार की स्थिति खराब है. अब तो महाजन ने भी कपड़े देने से इनकार कर दिया है. उन्हें बिक्री कर कमीशन कहां से दें?
इटकी से आने-जाने का खर्च भी नहीं निकलता : असगर हुसैन प्रति दिन इटकी से अा कर डेली मार्केट में अपना स्टॉल लगाते हैं. उनका कहना है कि अब तो अाने-जाने का खर्च भी नहीं निकलता है. परिवार के लिए रोजमर्रा की वस्तुओं को जुटाने लायक भी अब बिक्री नहीं रह गयी है. उनके अनुसार स्थिति नहीं सुधरी, तो वे धंधा समेट लेंगे.
कैसे करें व्यापार, समझ में नहीं आ रहा : रांची निवासी मोईन का कहना है कि अब कैसे व्यापार करें, यह समझ में नहीं आ रहा है. 10 दिनों में पांच से सात हजार रुपये की ही बिक्री हुई है.
ऐसे में किसे पैसा दें, किसका उधार चुकता करें. मुश्किल हो रही है.मोदी जी के वार से गरीब पर अधिक असर : रांची फुटपाथ दुकानदार संघ के शकील अहमद भी यहां अपना दुकान लगाते हैं. उनकी भी आज बोहनी नहीं हुई थी. उनके अनुसार मोदी जी के वार का सबसे अधिक असर गरीबों पर पड़ रहा है. बेटी के फीस की अब चिंता सता रही है. इस तरह की मंदी में कैसे परिवार चलेगा, कैसे बच्चों की पढ़ाई होगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें