रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य की स्थानीय नीति को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह के बाद होगी. एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में मामले की […]
रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य की स्थानीय नीति को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह के बाद होगी. एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता जेजे सांगा ने खंडपीठ को बताया कि राज्य सरकार स्थानीय निवासी तय नहीं कर सकती है. स्थानीय निवासी तय करने का अधिकार संसद को है.
संविधान के अनुच्छेद-16 में भी इसका उल्लेख किया गया है. वर्ष 2002 में झारखंड हाइकोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ ने उस समय घोषित स्थानीय नीति को खारिज कर दिया था. साथ ही स्थानीय व्यक्ति की परिभाषा तय करने का निर्देश दिया था. इसके विपरीत अप्रैल 2016 में राज्य सरकार ने स्थानीय नीति से संबंधित अधिसूचना जारी की, जबकि उसे स्थानीय व्यक्ति तय करना था.
सरकार की नीति को असंवैधानिक बताते हुए उसे खारिज करने का आग्रह किया. प्रार्थी के पक्ष को सुनने के बाद खंडपीठ ने सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी आदिवासी बुद्धिजीवी मंच ने जनहित याचिका दायर की है. अप्रैल 2016 में घोषित की गयी स्थानीय नीति को निरस्त करने की मांग की है.