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विधायकों के कर्ज लेने पर सूद चुकायेगी सरकार!

रांची : राज्य के विधायक मकान बनाने के लिए बैंकों से कर्ज ले सकेंगे, पर उस पर लगनेवाले ब्याज का एक बड़ा हिस्सा सरकार चुकायेगी. विधायकों को मकान बनाने के लिए कर्ज दिलाने की शर्तों में इस तरह के प्रावधान किये जा रहे हैं. सरकार की सहमति के बाद इससे संबंधित शर्तें लागू कर दी […]

रांची : राज्य के विधायक मकान बनाने के लिए बैंकों से कर्ज ले सकेंगे, पर उस पर लगनेवाले ब्याज का एक बड़ा हिस्सा सरकार चुकायेगी. विधायकों को मकान बनाने के लिए कर्ज दिलाने की शर्तों में इस तरह के प्रावधान किये जा रहे हैं. सरकार की सहमति के बाद इससे संबंधित शर्तें लागू कर दी जायेंगी.

सरकार ने राज्य के विधायकों को मकान बनाने के लिए चार प्रतिशत सूद पर अधिकतम 30 लाख कर्ज देने का फैसला किया था. मई 2015 में इससे संबंधित अधिसूचना भी जारी कर दी गयी, पर कर्ज देने और वसूली से संबंधित शर्तें निर्धारित नहीं की जा सकी थीं. अब कर्ज देने के लिए सरकार शर्तें निर्धारित कर रही है. सरकार विधायकों को मकान के लिए कर्ज देने के लिए मध्य प्रदेश द्वारा अपनाये गये तरीके को ही अमल में लाना चाहती है. इसके तहत राज्य के विधायक मकान बनाने के लिए बैंकों से कर्ज लेंगे. बैंक द्वारा निर्धारित सूद की दर में से चार प्रतिशत सूद का भुगतान विधायक करेंगे. सूद की शेष रकम का भुगतान सरकार खुद करेगी. अर्थात अगर बैंक 10 प्रतिशत सूद पर कर्ज दें, तो विधायक चार प्रतिशत और सरकार छह प्रतिशत सूद का भुगतान करेगी. कर्ज चुकाने की अधिकतम अवधि 20 साल होगी. इस अवधि में 240 किस्तों में सूद और कर्ज की रकम चुकानी होगी.

विधायकों का कार्यकाल पांच साल का होता है. इसलिए पांच साल की अवधि में कर्ज और सूद की पूरी रकम वापस करना संभव नहीं है. विधायकों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद मकान बनाने के लिए लिये गये कर्ज की बकाया राशि की वसूली पेंशन से की जायेगी. उल्लेखनीय है कि विधायकों को अपने कार्यकाल के दौरान गाड़ी के लिए भी सरकार 15 लाख रुपये का कर्ज देती है. गाड़ी के लिए दिये गये कर्ज पर भी चार प्रतिशत की दर से सूद की वसूली होती है.
सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू है नियम
सरकारी कर्मचारियों को भी मकान के लिए 30 लाख तक का कर्ज देने का प्रावधान है. कर्ज की रकम पांच लाख से कम होने पर 8.5 प्रतिशत और अधिक होने पर 9.5 प्रतिशत की दर से सूद की वसूली होती है. कर्ज देने के लिए उन्हें जमीन सरकार के पास राज्यपाल के नाम पर गिरवी रखनी पड़ती है. कर्ज और सूद की रकम चुकाने के बाद गिरवी रखे दस्तावेज वापस कर दिये जाते हैं.

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