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पंडरा बाजार की सुरक्षा पर किसी का ध्यान नहीं
रांची: पंडरा बाजार की सुरक्षा पर किसी का ध्यान नहीं है. यहां व्यापारी से लूट होने के बावजूद सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लिया गया है. बाजार परिसर में सुरक्षा के लिए हथियारबंद सुरक्षाकर्मी भी नहीं हैं. न ही बाजार परिसर की चहारदीवारी दुरुस्त है. जहां-तहां चहारदीवारी टूटी हुई है. शाम होते ही बाजार परिसर […]
रांची: पंडरा बाजार की सुरक्षा पर किसी का ध्यान नहीं है. यहां व्यापारी से लूट होने के बावजूद सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लिया गया है. बाजार परिसर में सुरक्षा के लिए हथियारबंद सुरक्षाकर्मी भी नहीं हैं. न ही बाजार परिसर की चहारदीवारी दुरुस्त है. जहां-तहां चहारदीवारी टूटी हुई है. शाम होते ही बाजार परिसर में अंधेरा छा जाता है. रोशनी की भी मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. अंधेरे में ही बाजार चलता है.
20 साल पहले की है बाउंड्री : यहां 20 साल पहले जो चहारदीवारी हुई थी, वही आज भी है. बनहौरा की अोर जानेवाले रास्ते के पास चहारदीवारी टूटी हुई है. कोई भी उससे होकर अा-जा सकता है. लुटेरे घटना को अंजाम देकर इसी रास्ते से भागने में सफल रहे थे. वहीं बाजार के पूरब की अोर भी चहारदीवारी क्षतिग्रस्त है. 20 साल पहले चहारदीवारी की जो ऊंचाई थी, वही ऊंचाई आज भी है. कोई भी इसे फांद कर अंदर घुस सकता है.
खाली हाथ पहरा देते हैं गार्ड : यहां सुरक्षा के नाम पर 36 गार्ड रखे गये हैं. इनमें से आधा गार्ड ही पहरा देते नजर आते हैं. इन्हें रात-दिन यहां पहरा देना है. वे खाली हाथ पहरा देते हैं. उनके पास हथियार भी नहीं है. लूट की घटना के बाद से वे हाथों में छोटा स्टिक लेकर पहरा दे रहे हैं. उनके पास डंडा तक नहीं होता है.
वर्षों पुरानी लाइट के भरोसे है बाजार
बाजार के अंदर वर्षों पुरानी स्ट्रीट लाइट लगी है. इस लाइट में किसी का चेहरा तक साफ से नहीं दिखता है. रोशनी कम है. सड़क भी ठीक से नजर नहीं आती है. अधिकतर पोल में लाइट नहीं है. ऐसे में रात होते ही बाजार में अंधेरा छा जाता है. इससे कारोबारियों के साथ-साथ मजदूरों को भी दिक्कत होती है. सुरक्षा की दृष्टि से इसे बड़ा चूक माना जा रहा है.
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