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भारत की विशिष्टताओं का सम्मान करना जरूरी
द एसोसिएशन ऑफ क्रिश्चियन फिलॉसफर्स ऑफ इंडिया का वार्षिक शोध सम्मेलन संपन्न रांची : द एसोसिएशन ऑफ क्रिश्चियन फिलॉसफर्स ऑफ इंडिया का चार दिवसीय 41वां वार्षिक शोध सम्मेलन संत अलबर्ट कॉलेज में रविवार को संपन्न हुआ़ इसमें कहा गया कि भारत की विविध धार्मिक परंपराएं, संस्कृति व भाषाएं देश की विशिष्टता है़ं इस विशिष्टता का […]
द एसोसिएशन ऑफ क्रिश्चियन फिलॉसफर्स ऑफ इंडिया का वार्षिक शोध सम्मेलन संपन्न
रांची : द एसोसिएशन ऑफ क्रिश्चियन फिलॉसफर्स ऑफ इंडिया का चार दिवसीय 41वां वार्षिक शोध सम्मेलन संत अलबर्ट कॉलेज में रविवार को संपन्न हुआ़ इसमें कहा गया कि भारत की विविध धार्मिक परंपराएं, संस्कृति व भाषाएं देश की विशिष्टता है़ं इस विशिष्टता का सम्मान जरूरी है़
भारत एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष व लोकतांत्रिक गणराज्य है़ इसका संविधान नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा करता है़ इसे महत्व देना आवश्यक है़ इन मूल्यों का समाप्त करने के लिए कई संगठन प्रयासरत हैं, उनके प्रति सावधानी बरतनी चाहिए़ सेमिनार में विभिन्न राज्यों के 120 प्रतिभागियों ने अपना शोध प्रस्तुत किया़
इसमें सुझाव आये कि राष्ट्र निर्माण के लिए देश की विविधता, आपसी सदभाव व तालमेल, सांस्कृतिक स्वतंत्रता, दया और नैतिकता पर आधारित सोच के साथ बढ़ना होगा़ राजनीतिक विचारधारा संविधान के दायरे में और तार्किक व लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित हो़ं विज्ञान व धर्म के समुचित तालमेल से ही समुचित विकास संभव है़ किसी की उपेक्षा कर सर्वांगीण विकास नहीं कर सकते़ धार्मिक सक्रियता द्वारा धर्म व नैतिकता के तत्वों को कायम रखना विभिन्नतायुक्त राष्ट्रीयता का मूल तत्व है़ भारत का मसीही समुदाय अपने अंतर निर्माण के संकल्प द्वारा सूक्ष्म व वृहत स्तर पर आदर्श प्रस्तुत कर सकता है़ सेमिनार में अध्यक्ष फादर डॉ कीथ डिसूजा, बिशप फेलिक्स टोप्पो, फादर एलेक्स एक्का, डॉ एनी कुन्नथ, संत अलबर्ट कॉलेज के रेक्टर फादर दीपक ताऊरो, फादर राजू फेलिक्स क्रास्ता व अन्य शामिल हुए़
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