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इनलैंड कंपनी के प्रबंधक पर कार्रवाई की अनुशंसा

रांची: रामगढ़ के गोला में 29 अगस्त को हुए गोलीकांड में इनलैंड पावर लिमिटेड कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा की गयी है. इस घटना में पुलिस की गोली से दो ग्रामीणों की मौत हो गयी थी. प्रमंडलीय आयुक्त डॉ प्रदीप कुमार ने जांच रिपोर्ट में गोली चालन के लिए प्रदर्शनकारियों के साथ-साथ पुलिस-प्रशासन […]

रांची: रामगढ़ के गोला में 29 अगस्त को हुए गोलीकांड में इनलैंड पावर लिमिटेड कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा की गयी है. इस घटना में पुलिस की गोली से दो ग्रामीणों की मौत हो गयी थी. प्रमंडलीय आयुक्त डॉ प्रदीप कुमार ने जांच रिपोर्ट में गोली चालन के लिए प्रदर्शनकारियों के साथ-साथ पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों और कंपनी के प्रमोद मिश्रा को भी जिम्मेदार ठहराया है.

प्रमोद मिश्रा के बारे में कहा है कि उन्होंने 20 अगस्त को एक पत्र नागरिक चेतना मंच के अध्यक्ष को भेजा, जिसमें प्रबंधन के साथ नागरिक मंच की सभी मांगों पर विचार-विमर्श के लिए 29 अगस्त को उन्हें आमंत्रित किया गया था, लेकिन 29 अगस्त को वह फैक्टरी प्रबंधन की ओर से फैक्टरी के मुख्य गेट पर उपस्थित नहीं हुए. प्रदर्शनकारी तीन घंटे तक आंदोलन करते रहे थे. अगर प्रमोद मिश्रा वार्ता के लिए उपस्थित हो जाते, तो शायद स्थिति नियंत्रित हो सकती थी. इसलिए उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाये.

एसडीपीओ व अन्य पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग दें : आयुक्त ने रिपोर्ट में कहा है कि वर्तमान में वहां भू-अर्जन, वनों से जुड़े मामले, पलायन आदि की समस्या है. इन समस्याओं का समाधान परंपरागत पुलिसिंग के द्वारा नहीं किया जा सकता है. एसडीपीओ और उनके नीचे के पुलिस पदाधिकारियों व कर्मियों को पुलिस मुख्यालय द्वारा ट्रेनिंग दी जाये.
सभी पक्ष हैं दोषी : आयुक्त की रिपोर्ट 13 पन्नों की है. करीब तीन पन्नों में घटना के सात निष्कर्ष लिखे गये हैं. सातों निष्कर्ष में उन्होंने सभी पक्षों को दोषी बताया है. पहले निष्कर्ष में आयुक्त ने लिखा है कि प्रदर्शनकारी लगातार पत्थरबाजी कर रहे थे. पुलिस ने पहले टीयर गैस के गोले छोड़े, फिर लाठी चार्ज किया, लेकिन प्रदर्शनकारी नहीं मान रहे थे. अगर पुलिस के द्वारा फायरिंग नहीं की गयी होती, तो पुलिसकर्मियों के हथियार भी लूटे जा सकते थे. इसलिए इस फायरिंग की घटना को टाला नहीं जा सकता था. दूसरे निष्कर्ष में आयुक्त ने लिखा है कि अगर फैक्टरी प्रबंधन से वार्ता करा दी जाती, तो स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया जा सका. गोला व रजरप्पा थाना प्रभारी को स्थिति को टैक्टफुली डील करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसलिए दोनों को निलंबित करने की अनुशंसा की जाती है. तीसरे निष्कर्ष में आयुक्त रामगढ़ के भूमि सुधार उप समाहर्ता गोरांग महतो की भूमिका को लापरवाही भरा बताते हुए उन्हें निलंबित करने की अनुशंसा की है. चौथे निष्कर्ष में नागरिक चेतना मंच के राजीव जायसवाल, ममता देवी व सुनील चक्रवर्ती को घटना के लिए जिम्मेदार बताया गया है. पांचवें निष्कर्ष में कंपनी के प्रमोद मिश्रा के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की अनुशंसा की गयी है. छठे निष्कर्ष में ग्रामीणों की मांगों को लेकर एक्शन प्लान तैयार करने, इलाके में पेयजल, आवागमन, स्कूल में शिक्षक, आदि की व्यवस्था करने की बात कही है.

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