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बिना मॉनिटरिंग हुआ तालाबों का जीर्णोद्धार

रांची: जल संरक्षण के लिए डोभा निर्माण के साथ-साथ तालाबों के जीर्णोद्धार (गहरीकरण) का काम भी किया गया है. तालाबों का जीर्णोद्धार कार्य कृषि, सहकारिता व पशुपालन विभाग से संबद्ध भूमि संरक्षण निदेशालय के तहत किया गया है. रांची में कुल 85 तालाबों का गहरीकरण किया गया है. भूमि संरक्षण पदाधिकारी, रांची ने जिले के […]

रांची: जल संरक्षण के लिए डोभा निर्माण के साथ-साथ तालाबों के जीर्णोद्धार (गहरीकरण) का काम भी किया गया है. तालाबों का जीर्णोद्धार कार्य कृषि, सहकारिता व पशुपालन विभाग से संबद्ध भूमि संरक्षण निदेशालय के तहत किया गया है.

रांची में कुल 85 तालाबों का गहरीकरण किया गया है. भूमि संरक्षण पदाधिकारी, रांची ने जिले के विभिन्न प्रखंडों में स्थित सरकारी तालाबों का गहरीकरण कराया है. पानी समिति या जल लाभुक समिति के जरिये हुआ यह कार्य बिना मॉनिटरिंग के किया गया है. सभी तालाब को 10 फीट गहरा किया जाना था. पर यह हिसाब नहीं रखा गया कि तालाब पहले से कितना गहरा था.

वहीं विभिन्न प्रखंडों में कार्य के दौरान कहीं से कोई मॉनिटरिंग किये जाने की सूचना नहीं है. गांव-देहात के लोगों ने ही ठेकेदार बन कर यह काम किया है. भूमि संरक्षण निदेशक फणिंद्रनाथ त्रिपाठी के अनुसार सभी 85 तालाबों में प्रति तालाब अौसतन 14 लाख रुपये गहरीकरण व जीर्णोद्धार कार्य पर खर्च हुआ है. इस तरह अकेले रांची जिले में तालाब गहरीकरण पर करीब 12 करोड रुपये का खर्च है. पर भुगतान किस आधार पर हो रहा है या होना है, यह स्पष्ट नहीं है. निदेशक के अनुसार कार्य शुरू होने से पहले तालाबों की तसवीर ली गयी है. पर क्या इससे यह पता लगाया जा सकता है कि तसवीर में दिख रहा तालाब कितना गहरा है? कुछ पंचायतों से मिली सूचना के मुताबिक भुगतान के लिए 5-10 परसेंट की मांग भी की जा रही है.

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