रांची: झारखंड के सिल्क व तसर की ओपन मार्केटिंग होनी चाहिए. वैल्यू ऐडेड कर हम सिल्क के उत्पादन में अग्रणी राज्य बन सकते हैं. प्रोडक्शन के साथ-साथ मार्केटिंग भी करनी होगी, तभी अन्य राज्यों की तरह हम संपन्न बन सकते हैं. राज्य के दो लाख लोग सिल्क उत्पादन से जुड़े हैं, जिसमें महिलाओं की सहभागिता सबसे ज्यादा है. सही मायने में यहीं महिला सशक्तीकरण है.
उक्त बातें शुक्रवार को होटवार टाना भगत इंडोर सभागार में सिल्क के विकास हेतु उत्प्रेरक विकास कार्यक्रम के कार्यान्वयन पर राज्य स्तरीय कार्यशाला में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कही. उन्होंने कहा कि सिर्फ नौकरी देने से राज्य का विकास नहीं होगा. राज्य के सभी लोगों को नौकरी नहीं दी जा सकती. यह कतई संभव नहीं है. लोगों की धारणा यह है कि नौकरी मिले. योजनाओं का लाभ कम पढ़े-लिखे लोगों को मिलता है, जिसे वो ले सकते हैं. कॉरपोरेट क्षेत्र की कंपनियां कृषि से जुड़ गयी हैं, वो धीरे-धीरे हमारे क्षेत्र में आ जाती हैं, लेकिन हम इसे छोटे परिप्रेक्ष्य में देखते हैं. राज्य में आम, काजू, बांस, जूट को उद्योग के रूप में विकसित किया जा सकता है. राज्य का खादी उद्योग समृद्ध है. सिल्क एवं तसर से जुड़ने पर लाभुक को आंशिक राशि देनी होती है. 80 प्रतिशत केंद्र एवं 10 प्रतिशत राज्य सरकार का सहयोग होता है.
उद्योग मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि तसर के क्षेत्र में राज्य अग्रणी है. यह क्षेत्र राज्य को रोजगार से जोड़ने का कार्य कर रहा है. विभाग द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है, लेकिन सिल्क रोजगार से जुड़े लोग अपने क्षेत्र के लोगों को जोड़ने का काम करें. मुख्य सचिव आरएस शर्मा ने कहा कि झारक्राफ्ट ने संगठित करने का काम किया है, जिससे उत्पादन 2004 मैट्रिक टन हो गया है. दो लाख से ज्यादा परिवार इससे जुड़े हैं, जिसे 10 लाख तक करनी है. इसके लिए विजन के साथ काम करना होगा. राज्य के ऑर्गेनिक सिल्क की पहचान विदेशों में है. सेरीकल्चर में रोजगार की बहुत संभावना है, इसके लिए प्रोडक्शन चेन बनाने की जरूरत है. उद्योग सचिव हिमानी पांडेय ने कहा कि विभाग द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि उत्पादन को बढ़ा कर 8000 मीट्रिक टन किया जाये. बाजार मूल्य अच्छा मिल रहा है. झारक्राफ्ट के एमडी धीरेंद्र कुमार ने सिल्क उत्पादन पर विस्तार से जानकारी दी. मौके पर खादी बोर्ड के अध्यक्ष जयनंदू सहित कई विशिष्ट व्यक्ति मौजूद थे.
इन्हें किया गया सम्मानित
रेशमदूत में मोयका सोय प्रथम, योगेंद्र मुंडा द्वितीय एवं चरण हेम्ब्रम तृतीय, बीज कीटपालक में कुशनु पिंगुआ प्रथम, जुरीया गागराई द्वितीय व जागा पुरती तृतीय, नाभिकीय बीज कीटपालक में सिकंदर मंडल प्रथम, कामदेव मुमरू द्वितीय एवं शैलेंद्र बर्नवाल तृतीय, वाणिज्यिक कीटपालक में सुजल सोरेन प्रथम, बुधीन मुमरू द्वितीय एवं सोनिया मुमरू तृतीय, रीलर में सुखमनी उरांव प्रथम, स्पीनर में छवि देवी प्रथम, रेशम बुनाई में जीतेंद्र कुमार प्रथम, युनुस अंसारी द्वितीय एवं आजाद अंसारी तृतीय, सूती बुनाई में ताहिर मियां प्रथम, हस्तशिल्प-पेंटिंग में अजीत पंडित प्रथम, हस्तशिल्प वुड क्राफ्ट में चितरंजन मंडल प्रथम रहे.
आंखें नहीं, लेकिन हौसला मजबूत
गोड्डा निवासी ताहीर मियां की आंखें दुर्घटना में चली गयीं, लेकिन उनका हौसला कम नहीं हुआ. ताहीर ने बताया कि वह रेशम एवं सूती कपड़ा की बुनाई का काम पांच साल की उम्र से कर रहे हैं. वह अंदाजतन बुनाई करते हैं, लेकिन आंखवाले व्यक्ति से ज्यादा कुशल काम करते हैं. उनका यही उत्साह उन्हें सूती बुनाई में प्रथम पुरस्कार दिलाया.