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20 लाख की आबादी पर एक इंजीनियरिंग कॉलेज

रांची : झारखंड में इंजीनियरिंग व पॉलिटेक्निक कॉलेजों की कमी तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी बाधा है. वहीं जो कॉलेज हैं, वहां भी पठन-पाठन की बेहतर स्थिति नहीं है. राजधानी रांची में स्थित राजकीय पॉलिटेक्निक, चर्च रोड की सैंपल जांच से राज्य के सभी पॉलिटेक्निकों का हाल पता चलता है. पहले कमी की बात. […]

रांची : झारखंड में इंजीनियरिंग व पॉलिटेक्निक कॉलेजों की कमी तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी बाधा है. वहीं जो कॉलेज हैं, वहां भी पठन-पाठन की बेहतर स्थिति नहीं है. राजधानी रांची में स्थित राजकीय पॉलिटेक्निक, चर्च रोड की सैंपल जांच से राज्य के सभी पॉलिटेक्निकों का हाल पता चलता है.
पहले कमी की बात. झारखंड में इंजीनियरिंग कॉलेजों की कुल संख्या 16 है. यानी यहां करीब 20 लाख की आबादी पर एक इंजीनियरिंग कॉलेज है. वहीं राष्ट्रीय अौसत प्रति 7.7 लाख की आबादी पर एक कॉलेज का है. उसी तरह राज्य भर में 29 पॉलिटेक्निक के हिसाब से राज्य की करीब 10 लाख की आबादी पर एक पॉलिटेक्निक कॉलेज है.
वहीं राष्ट्रीय अौसत प्रति तीन लाख की आबादी पर एक पॉलिटेक्निक कॉलेज का है. एक तरफ तो यह कमी है, वहीं दूसरी अोर है मौजूदा तकनीकी संस्थानों की बदहाली. सरकारी क्षेत्र में राज्य के अकेले इंजीनियरिंग कॉलेज बीआइटी सिंदरी सहित सभी 13 राजकीय पॉलिटेक्निक में शिक्षकों की कमी है. किसी पॉलिटेक्निक में स्थायी प्राचार्य नहीं हैं. विभागाध्यक्षों के कुल 19 में से 18 पद रिक्त हैं.
वहीं शिक्षकों के कुल 200 में से 143 पद खाली हैं. निरसा, भागा व कोडरमा खनन पॉलिटेक्निकों में विद्यार्थियों का अंडर ग्राउंड माइनिंग प्रशिक्षण तीन वर्षों से बंद है. सिर्फ यही नहीं, पठन-पाठन की दूसरी बुनियादी सुविधाएं भी यहां नहीं है. पर एक बेहतर काम यह हुआ है कि टेक्निकल यूनिवर्सिटी के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है.

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