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नारों से नहीं, स्थितियों से बदलता है देश
रांची : जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा कि देश नारों से नहीं, स्थितियों से बदलता है़ स्लोगन से नहीं लोगों के हालात से महान बनता है़ लोगों की वास्तविक हालात तब अच्छी होगी, जब वे बीमारी से नहीं मरेंगे. जब लाेगों को अपने माथे पर मैला नहीं ढोना पड़ेगा. महिलाओं […]
रांची : जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा कि देश नारों से नहीं, स्थितियों से बदलता है़ स्लोगन से नहीं लोगों के हालात से महान बनता है़ लोगों की वास्तविक हालात तब अच्छी होगी, जब वे बीमारी से नहीं मरेंगे. जब लाेगों को अपने माथे पर मैला नहीं ढोना पड़ेगा. महिलाओं को पुरुषों के बराबर सम्मान मिलेगा और आदिवासी, पिछड़े, दलित तबके, तमाम मेहनतकश आवाम को उनका हक दे दिया जायेगा़ यह देश की जनता को रोजी-रोटी का हक देने से बदलेगा़ वह रविवार को गोस्सनर मध्य विद्यालय कैंपस में रोजी-रोटी अधिकार अभियान के छठे राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन समारोह में बोल रहे थे़
उन्होंने कहा कि केरल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी से आजादी की बात कही है, जबकि इसी बात के लिए हमें तथाकथित राष्ट्रवादियों की मार खानी पड़ी, जेल जाना पड़ा़ अच्छे दिन तब आयेंगे, जब सब मिल कर इसके लिए लड़ेंगे़ देश में मेहनतकश दलित, आदिवासी, पिछड़े, अति पिछड़े, किसानों, मजदूरों व महिलाओं को उनकी मेहतन का फल नहीं मिलता है़
दलित अधिकारों के लिए लड़ने वालों कोे देशद्रोही, आदिवासी अधिकारों के लिए लड़ने वालों को नक्सली, अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए लड़ने वालों को जिहादी और महिला अधिकारों के लिए लड़ने वालों को भारतीय संस्कृति के विरोधी बताया जाता है़ देश में भुखमरी, रोजी-रोटी, दलितों को जमीन दिलाने व पिछड़ों के विश्वविद्यालय जाने पर होनेवाले अत्याचार के खिलाफ रोहित एक्ट को लागू कराने की लड़ाई होगी़ उन्होंने कहा कि अब लोग किसानों को छोड़ कर गायों की बात करते है़ं गाय के नाम पर ज्यादा राजनीति नहीं चलने वाली़ मन में एक विचार आया कि क्यों न अपना नाम गाय कुमार कर लूं, क्योंकि इस देश में कन्हैया से ज्यादा वैल्यू गाय का है़ विज्ञान के दौर में अब अंधविश्वास नहीं चलेगा़
रोजी-रोटी अधिकार अभियान का तीन दिवसीय छठा राष्ट्रीय अधिवेशन
मांग
अधिवेशन के अंतिम दिन सरकार से मांग की गयी कि आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट (एफएसपीए) हटाया जाये, राजद्रोह कानून रद्द किया जाये़ युद्ध की जगह संवाद को प्राथमिकता दी जाये़ निर्णय लिया गया कि रोजी – रोटी अभियान को हर राज्य में सशक्त किया जायेगा़
कश्मीरी विद्यार्थी हफसा सैयद ने कहा कि मीडिया वहां की सही तस्वीर नहीं पेश कर रहा है़ वहां के शिकार हिंसक प्रतिवादी नहीं, आम लोग बन रहे है़ं संघर्ष के आर्थिक दुष्परिणाम झेल रहे है़ं प्रताड़ना हर दिन की घटना बन गयी है़
मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ितों की बात उठायी
सबीना मुमताज ने उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर दंगे के पीड़ित मुसलमानों की बात रखी़ उन्होंने बताया कि वहां यह स्थिति बन गयी कि लोग अपनी बहन-बेटियों की सुरक्षा के लिए उनका विवाह कराने लगे हैं. सौ-सौ शादियां करायीं गयी़ं सरकार द्वारा उन्हें एक-एक लाख रुपये भी दिये गये़ विगत तीन सालों में इनमें से 30 से 40 शादियां टूट गयी है़ उत्तरप्रदेश सरकार ने पांच-पांच लाख रुपये इस शर्त पर दिया कि वे अपने घर कभी वापस नहीं जायेंगे.
देश का संविधान लागू करने की मांग
ऊना से आये दलित लेखक भंवर मेघवंशी ने कहा कि लोग सिर्फ देश का संविधान लागू करने की मांग कर रहे है़ं इससे ज्यादा कोई कुछ नहीं मांग रहा. रोहित वेमुला, डेल्टा मेघवाल, झझर में गोरक्षा के नाम पर दलितों की हत्या, दादरी अखलाक, मेवात में अल्पसंख्यक महिलाओं से बलात्कार किया गया़ दलितों, आदिवासियों और अन्य कमजोर तबकों के मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए वैसे सवाल खड़े किये जाते हैं, जो मुद्दे ही नहीं हैं.
ग्रामसभा की बात नहीं मानती सरकार
मनिका प्रखंड से आयी ग्राम स्वराज मजदूर संगठन की श्यामा सिंह
ने कहा कि सरकार ग्रामसभा की बात नहीं मानती़ सरकार ने वनाधिकार कानून तो दे दिया पर वनभूमि का पट्टा देने में आनाकानी करती है़ विधावा पेंशन के लिए पंचायत से जिला मुख्यालय का चक्कर लगवाया जाता है़
बालूमाथ की घटना लोकतंत्र के मुंह पर तमाचा
एआइपीएफ के नदीम खान ने कहा कि जिस तरह की घटना पूरे देश में पहले कभी नहीं हुई, वह झारखंड के बालूमाथ में हुई़ उस मामले पर आज तक काेई जांच कमीशन नहीं बैठाया गया और न ही मुआवजा दिया गया़ आरोपी दस दिन पहले बरी हो गया है़ यह लोकतंत्र के मुंह पर तमाचा है़
उत्तर-पूर्वी राज्य के लोगों से बराबरी का व्यवहार हो
नगालैंड से आये छात्र सांगरिबो पमाई ने कहा कि नगालैंड और उत्तर-पूर्व के राज्य भारत के हैं, पर उनके साथ विदेशी जैसा व्यवहार किया जाता है़ दिल्ली जैसे शहरों के पढ़े लिखे लोग भी उन्हें पिंकी और चिंकी जैसे नाम देते है़ं आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट (एफएसपीए) लागू होने के बाद भी नगालैंड, मणिपुर, असम जैसे राज्यों हिंसा जारी है़ फिर इस एक्ट का क्या लाभ?
झारखंड में कमल क्लब नहीं बिरसा क्लब की जरूरत
रांची. ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन व ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन द्वारा एक्सआइएसएस में ‘छात्र व युवाओं के समक्ष चुनौतियां व संभावनाएं’ विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया़ मौके पर जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा कि झारखंड के गांवों में कमल क्लब की स्थापना की जा रही है, पर यहां बिरसा मुंडा क्लब की जरूरत है, जिन्होंने तीर-धनुष तान कर अंगरेजों से कहा था कि यह जल, जंगल व जमीन हमारा है़ हम बिरसा मुंडा की विरासत को लेकर चलने वाले है़
नफरत की यह राजनीति सिर्फ देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में चल रही है़ अमेरिका में ट्रंप ने कहा है कि बाहर के लोगों को जगह नहीं मिलेगी़ उन्होंने कहा कि धर्म लोगों का निजी मामला है़ पर आज गांव-गांव में एक विचारधारा, धार्मिक आस्था के आधार पर लोगों को भटकाने की कोशिशें हो रही है़ं मनुस्मृति को निर्देशक सिद्धांत बनाने का प्रयास हो रहा है़ यदि देश की स्थापना धर्म के आधार पर करना चाहते हैं, तो संविधान और लोकतंत्र कहां जायेगा? उन्होंने कहा कि आतंकवाद का मुद्दा बड़ा मुद्दा है, पर इसका संबंध किसी धर्म से नहीं, बल्कि सत्ता संरचना से है़ लूट के अर्थतंत्र के कारण इसलामोफोबिया का मसला सामने आया है़
देश की 65 प्रतिशत आबादी युवाओं की है उनकी जवाबदेही है कि सवाल उठायें. महेंद्र पाठक ने कहा कि जिन्हें उनका अधिकार नहीं मिलता, हमें उनकी आवाज बनने की जरूरत है़ सरकार के खिलाफ बड़ी लड़ाई के लिए तैयार रहना होगा़ पावेल कुमार ने कहा कि सरकार की नीतियों का सबसे अधिक प्रभाव युवाओं पर पड़ता है, उन्हें इसके प्रति सजग रहना चाहिए़ सरकार की नीतियों पर नजर रखे़ं कार्यक्रम के दौरान इप्टा के उमेश नजीर व साथियों ने जनवादी गीत पेश किया़ कार्यक्रम में पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता, केडी सिंह, आफताब आलम, गौतम, विजय भोई व अन्य मौजूद थे़
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