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विकसित राज्य बनाने का लक्ष्य, 2030 तक झारखंड को चाहिए 24.7 लाख करोड़
रांची: झारखंड को 2030 तक पूरी तरह विकसित राज्य बनाने के लिए 24.76 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है. इस जरूरत के मुकाबले 0.97 लाख करोड़ की कमी होगी. नीति आयोग के साथ चर्चा के दौरान राज्य के अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी. बताया गया कि सरकार की ओर से तैयार विजन डॉक्यूमेंट 2030 को […]
रांची: झारखंड को 2030 तक पूरी तरह विकसित राज्य बनाने के लिए 24.76 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है. इस जरूरत के मुकाबले 0.97 लाख करोड़ की कमी होगी. नीति आयोग के साथ चर्चा के दौरान राज्य के अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी. बताया गया कि सरकार की ओर से तैयार विजन डॉक्यूमेंट 2030 को पूरी तरह लागू हो जाने के बाद यहां न तो कोई गरीब रहेगा न ही निरक्षर.
खाद्य के मामले में आत्मनिर्भर होगा राज्य : राज्य के विकास आयुक्त अमित खरे ने कहा : 2030 तक झारखंड को पूरी तरह विकसित राज्य बनाने का लक्ष्य तय किया गया है.
इसी के आलोक में विजन डॉक्यूमेंट बनाना है.सरकार ने विजन डॉक्यूमेंट 2030 रूपरेखा तैयार की है. इसमें 2030 तक सबको शिक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराने का लक्ष्य है. इस लक्ष्य को पाने के लिए सात साल के लिए रणनीति व तीन साल के लिए कार्य योजना बनानी है. इसे पूरी तरह क्रियान्वित कर पाने पर यहां कोई निरक्षर नहीं रहेगा. सबके घर में बिजली और पाइप लाइन से पेयजल की आपूर्ति होगी. राज्य के कोई व्यक्ति गरीब नहीं रहेगा. राज्य खाद्य के मामले में आत्मनिर्भर होगा. धान, गेंहू आदि की उत्पादकता बढ़ायी जायेगी. सभी नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिलेगी.
ट्रैफिकिंग रोकने और आदिम जनजातियों के विकास पर भी चर्चा : बैठक में चर्चा हुई कि रेल, सड़क, जल और हवाई मार्ग के बीच कनेक्टिविटी कैसे स्थापित की जाये. राज्य में ट्रैफिकिंग रोकने और आदिम जनजातियों के विकास पर भी चर्चा हुई. बैठक में राज्य की ओर से विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए किये गये कार्य की भी जानकारी दी गयी. इसमें कृषि के लिए सिंगल विंडो सिस्टम, कृषि बजट के अलावा जेंडर बजट शामिल है. उन्होंने विजन 2030 के मुकाबले कुछ मामलों में वर्तमान स्थिति की जानकारी दी. फिलहाल गांव में 22.34 प्रतिशत और शहर में 39.37 प्रतिशत लोगों को पाइप लाइन से पेयजल उपलब्ध है. पूर्ण टीकाकरण 70 प्रतिशत और शिशु मृत्यु दर प्रति हजार 37 है. प्राथमिक स्तर पर ड्राॅप आउट रेट 5.31 और सेकेंड्री लेवल पर 8.58 प्रतिशत है. 9.2 प्रतिशत स्कूलों में कंप्यूटर और 13.6 प्रतिशत में बिजली उपलब्ध है.
केंद्र में लंबित मामलों की चर्चा
-फॉरेस्ट क्लियरेंस के कारण पीएमजीएसवाइ की 49 और वाइल्ड लाइफ की वजह से 27 योजनाएं लंबित
-अल्पसंख्यकों के लिए विशेष कल्याण योजना मद में 11 वीं 12 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत मिली राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र केंद्र को नहीं भेजा गया.
-फिशरी में ब्यू रिवुलेशन के लिए केंद्र ने 29.9 करोड़ स्वीकृत किये, पर पहले का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं भेजा गया
-केंद्र ने एनएच के लिए 688.6 करोड़ स्वीकृत किये हैं, पर राज्य के प्रस्ताव में गलती के कारण मंजूरी नहीं मिल पायी
-बैठक में स्थानिक आयुक्त डीके तिवारी ने बताया कि केंद्र यह जानना चाहती है कि कोयला खदानों में काम क्यों नहीं शुरू हो रहा है. केंद्र सरकार ने दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना में लंबित टेंडरों की सूची और उसके कारणों की जानकारी मांगी है.
मार्च 2017 से पंचवर्षीय योजना समाप्त हो रही है. प्रधानमंत्री ने 2030 तक देश के विकास के लिए लक्ष्य तय किया है. यह संसटेनेबल डेवलप में गोल के अनुरूप है. सभी राज्यों को इसी के अनुरूप विजन डाॅक्यूमेंट की रूपरेखा बनाने के लिए कहा गया था. झारखंड सरकार ने भी इसे सौंपा है. संसटेनेबल डेवलप में गोल के 17 बिंदुओं को भी शामिल किया गया है. राज्यों की ओर से तैयार की गयी 15 साल की विकास योजना का लक्ष्य प्राप्त करने के उद्देश्य से सात साल के लिए एक रणनीति तैयार करनी है. विकास का लक्ष्य को हासिल करने के लिए इस लक्ष्य के मुकाबले तीन साल का एक्शन प्लान बनाना है. सभी राज्यों के इस बात की जानकारी है कि उन्हें अगले तीन साल तक 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं के आलोक में कितनी राशि मिलेगी. – अलका तिवारी, सलाहकार, नीति आयोग
राज्य सरकार ने तैयार िकया विजन 2030
गरीबी को समाप्त करना
1.5 लाख हेक्टेयर में ऑरगेनिक फार्मिंग
15 हजार हेक्टेयर में फ्लोरिकल्चर
धान की उत्पादकता 56 क्विंटल प्रति हेक्टेयर करना
1.60 लाख हेक्टेयर में फ्रूट क्रॉप
पूर्ण टीकाकरण
मातृ और शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर तक पहुंचाना
गांव और शहर को खुले में शौच से मुक्त करना
100% बच्चों को स्कूल पहुंचाना
ड्राप आउट रेट शून्य करना
सभी स्कूलों में बिजली और कंप्यूटर
सभी को साक्षर बनाना
सभी को पाइप लाइन वाटर सप्लाई की सुविधा देना
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