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माओवादी बंदी: नहीं चले बड़े-छोटे वाहन, बंद रही दुकानें, सात जिलों में बंदी का असर

रांची: सीएनटी एक्ट और स्थानीय नीति में संशोधन के खिलाफ आहूत भाकपा माओवादी के बंद के दौरान राज्य में कहीं कोई घटना नहीं हुई. हालांकि राज्य के सात जिले में बंदी का असर देखा गया. रांची के ग्रामीण इलाके खलारी, लापुंग, चान्हो, चतरा, लातेहार, पलामू, सिमडेगा, गुमला, खूंटी, चाईबासा व गिरिडीह के ग्रामीण क्षेत्र में […]

रांची: सीएनटी एक्ट और स्थानीय नीति में संशोधन के खिलाफ आहूत भाकपा माओवादी के बंद के दौरान राज्य में कहीं कोई घटना नहीं हुई. हालांकि राज्य के सात जिले में बंदी का असर देखा गया. रांची के ग्रामीण इलाके खलारी, लापुंग, चान्हो, चतरा, लातेहार, पलामू, सिमडेगा, गुमला, खूंटी, चाईबासा व गिरिडीह के ग्रामीण क्षेत्र में बंद असरदार रहा.

चतरा के टंडवा पिपरवार, रांची के खलारी, लातेहार के चंदवा के कोयला क्षेत्र में सन्नाटा पसरा रहा. गुमला के गुरदरी इलाके में भी बॉक्साइट ढुलाई का काम प्रभावित हुआ. अन्य जिलों में भी प्रभावित इलाकों में बड़े-छोटे वाहन नहीं चले. बसें स्टैंड में भी खड़ी रहीं. दुकानें बंद रहीं. गुमला जिला में शहरी क्षेत्र में भी लोग डरे-सहमे रहे. नक्सलियों के डर से गुमला का मुख्य डाकघर भी बंद रहा. टंडवा के मगध व आम्रपाली कोल परियोजना में कोयले की ट्रांसपोर्टिंग नहीं हुई. नक्सली बंद की वजह से रांची के खादगढ़ा व इटकी बस स्टैंड में भी बसें खड़ी रहीं. यहां से लंबी दूरी की बसें नहीं खुलीं. वहीं रांची से अन्य जिले के लिए छोटी गाड़ियां चलीं. बस नहीं चलने का फायदा सूमो, जीप, ट्रैकर चालकों ने उठाया. उसके संचालक दोगुना भाड़ा लेकर यात्रियों को ढोते रहे.
मेदिनीनगर : 110 बसों का परिचालन ठप रहा
बंद का पलामू में व्यापक असर देखा गया. ग्रामीण इलाकों में वाहन नहीं चले. दुकानें भी बंद रहीं. मेदिनीनगर के निजी बस पड़ाव से विभिन्न मार्गों के लिए खुलने वाली लगभग 110 बसों का परिचालन ठप रहा. वाहनों के परिचालन ठप रहने से ग्रामीण इलाके के लोग शनिवार को शहर में कम पहुंचे. बंदी के दौरान शांति कायम रहे, इसके लिए विभिन्न इलाकों में पुलिस सक्रिय दिखी.
चतरा : नहीं हुआ डिस्पैच का काम, सन्नाटा छाया
चतरा में लंबी दूरी के वाहन नहीं चले. सड़कें वीरान रहीं. पिपरवार, अशोका, मगध व आम्रपाली परियोजना का डिस्पैच पूरी तरह ठप रहा. एनटीपीसी व भेल कंपनी में सन्नाटा छाया रहा. बंद का सबसे अधिक असर पत्थलगड्डा, प्रतापपुर, कुंदा, हंटरगंज, टंडवा, गिद्धौर, लावालौंग व कान्हाचट्टी में देखा गया. छोटे-बड़े वाहन नहीं चले, जिस कारण आवागमन ठप रहा.
लातेहार : नहीं चले वाहन
बंद के दौरान राष्ट्रीय उच्च पथ पर यात्री बसों एवं भारी वाहनों का परिचालन नहीं हुआ. जिला मुख्यालय स्थित सभी सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यालय पूर्व की भांति खुले थे. यात्री बसें नहीं चलने के कारण बस स्टैंड वीरान दिखे. ग्रामीण क्षेत्रों से जिला मुख्यालय तक चलनेवाले छोटे वाहनों का परिचालन भी नहीं के बराबर हुआ.
लोहरदगा : आंशिक असर
लोहरदगा जिला में बंद का आंशिक प्रभाव देखा गया. लंबी दूरी के वाहन एवं बाॅक्साइट ट्रकों का परिचालन नहीं हुआ. सरकारी कार्यालय, विद्यालय व बाजार खुले रहे. करमा का बाजार होने के कारण बाजार में अन्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा भीड़ देखी गयी.
गुमला : गांव तक खौफ
गुमला जिले में भाकपा माओवादी द्वारा आहूत बंद अभूतपूर्व रहा. नक्सली खौफ के कारण करीब दो करोड़ रुपये का व्यवसाय प्रभावित हुआ. दुकानें नहीं खुलीं, वाहनों का परिचालन ठप रहा. बॉक्साइट की लोडिंग-अनलोडिंग नहीं हुई. शहर से लेकर गांव तक नक्सली खौफ देखा गया. हालांकि इस दौरान टेंपो का परिचालन सुचारू ढंग से हुआ.

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