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भाकपा माओवादी और पीएलएफआइ में समझौते की पहल

रांचीः पुलिस मुख्यालय स्पेशल ब्रांच के अधिकारियों द्वारा तैयार गोपनीय रिपोर्ट को मानें, तो भाकपा माओवादी और पीएलएफआइ के बीच स्थानीय समझौता हो सकता है. इससे संबंधित एक रिपोर्ट ज्ञापांक संख्या 110/14 के माध्यम से स्पेशल ब्रांच के अधिकारियों ने सभी जिलों के एसपी को भेजी है. यह रिपोर्ट रांची एसएसपी भीम सेन टूटी को […]

रांचीः पुलिस मुख्यालय स्पेशल ब्रांच के अधिकारियों द्वारा तैयार गोपनीय रिपोर्ट को मानें, तो भाकपा माओवादी और पीएलएफआइ के बीच स्थानीय समझौता हो सकता है. इससे संबंधित एक रिपोर्ट ज्ञापांक संख्या 110/14 के माध्यम से स्पेशल ब्रांच के अधिकारियों ने सभी जिलों के एसपी को भेजी है.

यह रिपोर्ट रांची एसएसपी भीम सेन टूटी को भी मिली है. रिपोर्ट के अनुसार पीएलएफआइ के उग्रवादी और भाकपा भाओवादी के नक्सली आपसी खून संघर्ष को छोड़ समझौता करने वाले हैं. पीएलएफआइ की ओर से समझौते की जिम्मेवारी जिदन गुड़िया को मिली है, जबकि नक्सलियों की ओर से समझौते की पहल नक्सली गोपाल जी कर रहा है. दोनों के बीच समझौते को लेकर बातचीत भी हो चुकी है. अब बैठक कर स्थायी समझौते पर निर्णय लेना ही बाकी है. रिपोर्ट के बाद पुलिस की भी परेशानी बढ़ गयी है. स्पेशल ब्रांच की ओर से पुलिस को निर्देश दिया गया है कि इस दिशा में सत्यापन कर आवश्यक कार्रवाई करें.

टीपीसी से कर चुके हैं प्रयास

वर्ष 2012 में भाकपा माओवादी के नक्सली तृतीय प्रस्तुति कमेटी के साथ भी समझौते का प्रयास कर चुके हैं. यह प्रयास नक्सलियों की ओर से ही हुआ था. इसे टीपीसी के उग्रवादियों ने मानने से इनकार कर दिया था. इस कारण यह समझौता नहीं हो सका. गौरतलब है कि गत वर्ष होली के दिन टीपीसी ने चतरा के कुंदा लकड़मंदा गांव में 10 माओवादियों को मार गिराया था, जबकि 25 माओवादियों को बंधक बना लिया था. काफी प्रयास के बाद माओवादियों को टीपीसी ने मुक्त किया था.

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